इस बीच खबर है कि वर्षा डोंगरे अपने सरकारी आवास से लापता हैं। समाचार पत्र 'नई दुनिया' की खबर के अनुसार, वर्षा डोंगरे 3 मई से अपने सरकारी आवास से गायब हैं। रायपुर जेल परिसर स्थित वर्षा के आवास पर पांंच दिनों से ताला लगा है। लिहाजा बंद दरवाजे पर ही जेल प्रशासन ने उनके नाम पर जारी नोटिस और निलंबन आदेश को चस्पा कर दिया।
वर्षा कहां गईं, इस बारे में जेल प्रशासन के पास किसी तरह की अधिकृत जानकारी नहीं है। उनका मोबाइल स्वीच ऑफ है। जेल अधिकारियों का कहना है कि वर्षा डोंगरे ने ई-मेल से अवकाश पर जाने की सूचना दी, लेकिन अवकाश खत्म होने के बाद भी वे काम पर नहीं लौटीं।
डीआईजी (जेल) केके गुप्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि फेसबुक पोस्ट के बारे में वर्षा डोंगरे से स्पष्टीकरण मांगा गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया। राज्य सरकार ने सरकारी अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया की गाइडलाइंस जारी की हुई हैं, लेकिन डोंगरे ने इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया।
गत 24 अप्रैैल को सुकमा में नक्सली हमले के बाद वर्षा डोंगरे का एक पोस्ट चर्चा में आया था, जिसमें उन्होंने आदिवासियों के शोषण से जुड़़े मुद्दे उठाते हुए सुरक्षा बलों पर कई गंभीर सवाल उठाए थे। हालांकि, बाद में इसे हटा लिया गया। लेकिन यह पोस्ट वाट्स एेप समेत कई दूसरे सोशल मीडिया पर फैल गया। एक डिप्टी जेलर द्वारा सरकारी तंत्र पर लगाए गए गंभीर आरोपों से छत्तीसगढ़ सरकार में हड़कंप मच गया।
छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का कहना है कि वर्षा डोंगरे ने फेसबुक पर जो कुछ लिखा है, वह काफी संदेहास्पद है। उनके माओवादी विचारधारा से संबंध होने की भी जांच कराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ पीएससी के परिणामों में धांधली को लेकर वर्षा डोंगरे राज्य सरकार को हाईकोर्ट से लेेेेकर सुप्रीम कोर्ट तक कठघरे में खड़ी कर चुकी है। उन्हाेेंंने इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है।