अखाड़ों को अक्सर ‘मर्द’ या लड़कों का अड्डा कहा जाता है। लेकिन अब भारत में दंगल जैसी फिल्मों से लेकर असल जीवन में भी बदलती रवायतों की तस्वीरें नजर आ रही हैं। पहले वाराणसी के तुलसी घाट के स्वामीनाथ अखाड़े में सिर्फ पुरूष ही कुश्ती लड़ते दिखाई देते थे। लेकिन अब यहां लड़कियां भी दो-दो हाथ करती नजर आ रही हैं।
#UttarPradesh: Women join #Varanasi's #SwaminathAkhada at Tulsi Ghat after it opened its doors for them pic.twitter.com/Rt3a1KvWio
— ANI UP (@ANINewsUP) 9 October 2017
आस्था और नंदिनी ने लगभग 450 साल पुराने इस अखाड़े में प्रवेश पाने की लड़ाई लड़ी और 450 साल पुरानी परंपरा तोड़ कर अखाड़े का दरवाजा महिलाओं के लिए खोला। प्रवेश्ा की अनुमति मिलने के साथ ही महिला पहलवानों का रियाज भी इस अखाड़े में शुरू हो गया है।
एनडीटीवी के मुताबिक, इस अखाड़े का संचालन कर रहे महंत विशम्भरनाथ मिश्र बताते हैं, "अब हमने बेटियों को बढ़ाने के लिए यह परंपरा शुरू की है। यह समय की जरूरत है, क्योंकि आज आप बराबरी की बात करते हैं। यदि आप सिर्फ पढ़ाई के लिहाज से बराबरी की बात करते हैं, तो करते रहिए, हमारा मानना तो यह है कि समाज की आवश्यकता है कि जिस तरह लड़कों को मजबूत बनाया जाता है, जरूरी है कि लड़कियों को भी मजबूत बनाया जाए, जो परंपराएं जीवित होती हैं, उनमें यह क्षमता होनी चाहिए कि नई चीजों को इन्कॉरपोरेट करें और जो इस्तेमाल की चीज नहीं रह गई है, उसे डिलीट भी कर डाले।"
गौरतलब है कि अब तुलसी अखाड़े में पहलवान आस्था और नंदिनी दिखाई देती हैं, वे दोनों ही कुश्ती में स्टेट लेवल की खिलाड़ी हैं। अखाड़े की मिट्टी में रियाज के लिए इन्होंने समाज और पुरुष पहलवानों से अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी और बड़ी कामयाबी पाई।