दरअसल, मंगलवार शाम योगी मंत्रिमंडल की बैठक में यूपी कंट्रोल ऑफ आर्गनाइज्ड क्राइम ऐक्ट (UPCOCA) पर मोहर लगने की प्रबल सम्भावना है। UPCOCA महाराष्ट्र सरकार के MCOCA (महाराष्ट्र कण्ट्रोल ऑफ़ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट) 1999 की तरह ही उत्तर प्रदेश से संगठित अपराध को निर्मूल करने की तरफ एक सार्थक प्रयास होगा।
योगी कैबिनेट की मुहर लगने के बाद इस कानून को प्रदेश की विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा, जिसके बाद इसे राज्य में लागू किया जाएगा। UPCOCA के अंतर्गत पुलिस को संगठित अपराध नियंत्रण हेतु कई अधिकार प्राप्त होंगे। वहीं, दूसरी ओर इस कानून में निरुद्ध अपराधियों के लिए फौरी तौर पर या अन्यथा जमानत मिलना बहुत कठिन हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बृजलाल के अनुसार इस कानून के आ जाने से राज्य में संगठित अपराध के नियंत्रण और रोकथाम में काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, “वैसे तो उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर एक्ट सहित कई अन्य कानून हैं जिनके तहत पुलिस अपराधियों पर नकेल कसती है। पर गंभीर अपराध जैसे आतंकवाद, फिरौती और अपहरण के लिए ये नाकाफी साबित होते हैं।”
बृजलाल ने बताया कि UPCOCA जैसे कानून के अंतर्गत पुलिस को अदालत में आरोपपत्र (chargesheet) दाखिल करने के लिए 180 दिन मिलते हैं, जबकि अन्य कानूनों में ये अवधि केवल 90 दिन की ही है। उन्होंने कहा, “इससे पुलिस को अपनी जांच पूरी करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है, जिससे अदालत के सामने अभयुक्तों के विरुद्ध पुख्ता केस प्रस्तुत किया जा सके और उन्हें कड़ी सजा मिल सके।”
पूर्ववर्ती मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सरकार (2007-12) ने भी ऐसे ही कानून को उत्तर प्रदेश में लागू करने की पहल कि थी परन्तु, वह इसमें सफल नहीं हो सकी थी। UPCOCA के अंतर्गत कई तरह के संगठित और गंभीर अपराधों पर अंकुश लगाने कि तयारी है, जिसमें प्रमुख रूप से फिरौती, जबरन वसूली, अपहरण, हत्या, हत्या की कोशिश, जबरन धन उगाही, अवैध कब्जे इत्यादि अपराध सम्मिलित होंगे।