दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सीबीआई और ईडी को निर्देश दिया कि वह दिल्ली आबकारी नीति 'घोटाले' मामले की जांच के संबंध में एजेंसियों द्वारा दिए गए सभी प्रेस संचार और विज्ञप्ति को उसके सामने पेश करे। जिसमें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और व्यवसायी विजय नायर को आरोपी बनाया गया है।
अदालत ने कहा कि वह संघीय एजेंसियों द्वारा जारी आधिकारिक संचार पर विचार करेगी और देखेगी कि क्या इस मुद्दे पर टेलीविजन चैनलों द्वारा की गई रिपोर्ट इस पर आधारित थी या "उनकी कल्पना की उपज" थी।
अदालत का आदेश नायर द्वारा दायर एक याचिका पर आया, जिसमें दावा किया गया था कि मामले के संबंध में संवेदनशील जानकारी जांच एजेंसियों द्वारा मीडिया को लीक की जा रही है, जो एक आरोपी के रूप में उसके अधिकार को बाधित कर रही है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा, "अदालत, आगे बढ़ने से पहले, प्रतिवादी संख्या 1 (सीबीआई) और 2 (ईडी) से आपराधिक मामले की जांच के संबंध में उनके द्वारा दिए गए सभी प्रेस संचार और प्रेस विज्ञप्तियां रखने का अनुरोध करती है।"
नायर एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी हैं। नायर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि यदि कोई समाचार संगठन कल्पना के आधार पर रिपोर्ट करता है, तो यह खतरनाक है।
इस पर जज ने कहा, "तो यह हमारे लिए अलार्म है।" कृष्णन ने कहा कि मुकदमा एक महत्वपूर्ण चरण में है और जब इसका विवरण मीडिया में प्रकाशित होता है, तो उसके मुवक्किल के अधिकारों को नुकसान पहुंचता है।