सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि 'फ्रीडम ऑफ़ स्पीच' यानी बोलने की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया जा रहा है। यह टिप्पणी कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान की। हेमंत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ आपत्तिजनक कार्टून बनाने का आरोप है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कुछ कार्टूनिस्ट और स्टैंड-अप कॉमेडियन बोलने की स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब 15 जुलाई को होगी। हालांकि, कोर्ट ने इस दौरान हेमंत मालवीय की गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं लगाई, यानी यदि पुलिस चाहे तो उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
हेमंत मालवीय ने अपने खिलाफ दर्ज मामले के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और अग्रिम ज़मानत (एंटीसिपेटरी बेल) की मांग की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आपत्तिजनक पोस्ट को बोलने की स्वतंत्रता की आड़ में सही नहीं ठहराया जा सकता।
इससे पहले, 3 जुलाई को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी हेमंत मालवीय को फटकार लगाते हुए कहा था कि कलाकारों को ऐसे कैरिकेचर बनाते समय संयम और सूझबूझ का प्रयोग करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में मालवीय ने कहा कि उन्होंने यह कार्टून महामारी के दौरान बनाया था, जब गलत सूचनाओं और वैक्सीन को लेकर सार्वजनिक चिंता बढ़ रही थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह कार्टून एक व्यंग्यात्मक सामाजिक टिप्पणी (satirical social commentary) थी, जिसमें यह दिखाने की कोशिश की गई थी कि कुछ सार्वजनिक हस्तियों ने वैक्सीन को “पानी की तरह सुरक्षित” बताया, जबकि उस समय उसके प्रभाव को लेकर वैज्ञानिक परीक्षण पर्याप्त नहीं थे।