सुप्रीम कोर्ट ने वीर सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कड़ा झटका दिया है। अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी समन को रद्द करने से इनकार करते हुए राहुल गांधी को फटकार लगाई और उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान बरतने की नसीहत दी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि “सावरकर महाराष्ट्र में पूजनीय हैं” और इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। न्यायालय ने कहा, “जब देश के इतिहास और भूगोल की जानकारी नहीं हो, तो स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।”
शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल करते हुए कहा, “क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी, जब वह प्रधानमंत्री थीं, उन्होंने भी इस सज्जन (सावरकर) की प्रशंसा में एक पत्र भेजा था? इसलिए स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं दिए जाने चाहिए।”
अदालत ने इस संदर्भ में महात्मा गांधी के ब्रिटिश शासन के दौरान किए गए पत्राचार का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने भी “आपका वफादार सेवक” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। इससे यह स्पष्ट किया गया कि उस समय के ऐतिहासिक संदर्भों को समझे बिना किसी भी दस्तावेज या कथन का मूल्यांकन करना अनुचित हो सकता है।
यह मामला 17 नवंबर, 2022 को महाराष्ट्र के अकोला जिले में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी के विवादास्पद बयान से जुड़ा है। मीडिया से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वीर सावरकर ने अंग्रेजों को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था, “सर, मैं आपका सबसे आज्ञाकारी सेवक बना रहना चाहता हूं।” इस टिप्पणी को लेकर अधिवक्ता नृपेंद्र पांडे ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया कि गांधी की यह टिप्पणी जानबूझकर सावरकर की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से की गई थी।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर की गई गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।