जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को आतंकवादी संगठनों से कथित संबंधों के आरोप में तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। इन कर्मचारियों में पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट, शिक्षक मोहम्मद अशरफ भट और वन विभाग के कर्मचारी निसार अहमद खान शामिल हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से अब तक जम्मू-कश्मीर प्रशासन कुल 69 सरकारी कर्मचारियों को आतंकवाद से संबंध के चलते सेवा से हटा चुका है।
आतंकियों के लिए काम करता था कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट
फिरदौस अहमद भट को 2005 में एसपीओ के रूप में नियुक्त किया गया था और 2011 में वह कांस्टेबल बन गया। उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया और वह इस समय कोट भलवाल जेल में बंद है। कांस्टेबल बनने के बाद भट को जम्मू-कश्मीर पुलिस के इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस यूनिट में तैनात किया गया, लेकिन इसी दौरान वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने लगा।
मई 2024 में अनंतनाग से दो आतंकवादी - वसीम शाह और अदनान बेग - को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि भट ने ही उन्हें हथियारों की आपूर्ति के लिए दो अन्य आतंकियों, ओमास और आकिब, को निर्देश दिया था। गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में भट का नाम सामने आया।
पुलिस ने जब उसके घर की तलाशी ली तो श्रीनगर के पुलिस हाउसिंग कॉलोनी, कमरवारी और अनंतनाग के गनी मोहल्ला स्थित मकान से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक और ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से गिराई गई 3 किलो चरस बरामद हुई। भट पाकिस्तानी आतंकवादी सज्जाद जट उर्फ सैफुल्लाह का करीबी था और उसके लिए आतंकवादी नेटवर्क चला रहा था।
अपने ही पुलिसकर्मियों के खिलाफ रची साजिश
भट ने न केवल सुरक्षा बलों की गोपनीय जानकारी आतंकियों को दी, बल्कि आतंकी हमलों के लिए टारगेट भी मुहैया कराए। 2020 में, उसने लश्कर आतंकियों को जम्मू-कश्मीर पुलिस के सब-इंस्पेक्टर अशरफ भट की हत्या के लिए निर्देश दिए।
18 मई 2024 को, उसने पहलगाम के यन्नेर में पर्यटकों पर हमले की योजना बनाई, जिसमें राजस्थान के दो पर्यटक घायल हो गए। उसने कई युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर आतंकवाद की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। अपनी पुलिस की पहचान का फायदा उठाकर वह आतंकियों के लिए हथियार और विस्फोटक भी सप्लाई करता था।
वन विभाग का कर्मचारी आतंकियों का मुखबिर निकला
निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में हेल्पर के रूप में भर्ती हुआ था और वर्तमान में अनंतनाग के वेरिनाग रेंज ऑफिस में ऑर्डरली के रूप में तैनात था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, खान आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का ‘छुपा हुआ एजेंट’ था और सरकार में रहकर आतंकियों की मदद कर रहा था।
अधिकारियों का कहना है कि सरकारी नौकरी की आड़ में उसने हिजबुल मुजाहिदीन से संबंध बनाए और भारत के खिलाफ साजिशें रचने लगा। वह सरकारी योजनाओं की जानकारी आतंकियों को देता था और आतंकवादी संगठनों के संपर्क में रहकर विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देता था।