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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ 125% तक बढ़ाया, बाकी देशों को 90 दिनों तक राहत

अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध एक बार फिर सुर्खियों में है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2024...
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ 125% तक बढ़ाया, बाकी देशों को 90 दिनों तक राहत

अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध एक बार फिर सुर्खियों में है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और 2024 के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया है। साथ ही, उन्होंने 90 दिनों तक नए टैरिफ्स पर रोक लगाने का फैसला किया है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर इस फैसले की जानकारी दी, जिसमें उन्होंने कहा कि यह कदम "अस्थायी शांति" और "व्यापार पुनर्समीक्षा" के लिए आवश्यक है।

ट्रंप के अनुसार, इस 90-दिन की अवधि के दौरान अमेरिका चीन के साथ व्यापार समझौते पर नए सिरे से बातचीत करना चाहता है। इस दौरान अमेरिका 10% का पारस्परिक टैरिफ भी लागू करेगा, जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि चीन इस अवधि के दौरान सहयोग नहीं करता, तो अमेरिका और भी कड़े कदम उठाएगा।

इससे पहले चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर 84% करने की घोषणा की थी, जो गुरुवार से प्रभावी होगी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने स्पष्ट किया कि उनका देश अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए "दृढ़ और निर्णायक" कदम उठाएगा। उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि वह टकराव की बजाय संवाद का रास्ता अपनाए।

ट्रंप के इस कदम का असर वैश्विक बाजारों में तुरंत दिखा। अमेरिकी शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। S&P 500 सूचकांक में 5.6% और Nasdaq में 8% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि यह टैरिफ पॉलिसी न सिर्फ ट्रंप की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, बल्कि ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को भी फिर से केंद्र में ला रही है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और दवा उद्योगों में इसके दूरगामी प्रभाव देखे जा सकते हैं। भारतीय उद्योग जगत भी इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि चीन और अमेरिका के बीच टकराव का अप्रत्यक्ष प्रभाव भारत की निर्यात नीति, आपूर्ति लागत और निवेश प्रवाह पर पड़ सकता है।

इसके अलावा, यह कदम घरेलू राजनीति में भी ट्रंप के लिए अहम साबित हो सकता है। चीन के प्रति सख्त रुख दिखाकर वे अपने परंपरागत समर्थकों को संदेश देना चाहते हैं कि वे अमेरिकी व्यापार और उद्योग की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन इस चुनौती का जवाब कैसे देता है और वैश्विक व्यापार संतुलन किस दिशा में जाता है।

ट्रंप की इस नई टैरिफ नीति ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति अब पहले से कहीं ज्यादा डिजिटल, त्वरित और अस्थिर हो चुकी है—जहां एक ट्वीट या पोस्ट से पूरी दुनिया के बाजार हिल सकते हैं।

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