उत्तर प्रदेश के जौनपुर में दलित परिवारों के घरों को जलाए जाने की घटना सामने आई है। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आग लगाने के मुख्य आरोपी दो लोगों नूर आलम और जावेद सिद्दीकी पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) यानी रासुका के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
आम तोड़ने पर हिंसक झड़प
बताया जाता है कि जिले के सराय ख्वाजा क्षेत्र में 9 जून को बाग से आम तोड़ने पर शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि हिंसक झड़प शुरू हो गई। इसी झगड़े के बीच आरोपियों ने दलितों के घरों को आग लगा दी। इस घटना में सात लोगों के घायल होने की भी जानकारी मिली है। जानकारी के अनुसार, सराय ख्वाजा क्षेत्र के भदेठी गांव में दो समुदायों के कुछ युवकों में पहले कहासुनी हुई। मंगलवार यानी 9 जून की शाम दोनों पक्षों के युवक आपस में फिर भिड़ गए।
सूचना पुलिस को दी गई लेकिन सराय ख्वाजा थाने की पुलिस ने कोई रुचि नहीं दिखाई। मंगलवार शाम साढ़े सात बजे एक पक्ष के दर्जन भर युवक बाइक से दलित बस्ती पहुंचे। वे उन युवकों को ढूंढ़ने लगे, जिनसे कहासुनी हुई थी। उस वक्त दो युवक वहां मिल गए। उन्होंने उनकी पिटाई शुरू कर दी। इसके बाद दलित बस्ती के लोगों ने बाहरी युवकों पर धावा बोल दिया। इस बीच, कुछ लोगों ने दलित बस्ती में आधा दर्जन कच्चे घरों में आग लगा दी।
एसएचओ पर कार्रवाई, पीड़ितों को राहत
मुख्यमंत्री ने बुधवार को संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि आरोपियों के खिलाफ एनएसए के तहत केस दर्ज कर कार्रवाई की जाए। लापरवाही बरतने के लिए संबंधी थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भी उन्होंने निर्देश दिया है।
सीएम ने जिले के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस घटना में जिन दलितों के घरों को नुकसान पहुंचा है, उन्हें मकान उपलब्ध कराए जाएं। राज्य सरकार का समाज कल्याण विभाग प्रत्येक परिवार को एक-एक लाख रुपये मुआवजा भी देगा।