Advertisement

लव जिहाद: सरकारें चाह कर भी आसानी से नहीं बना पाएंगी कानून, ये हैं बड़ी वजहें

मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने जब यह कहा कि लव जेहाद को लेकर के उनकी सरकार कानून बनाएगी तो...
लव जिहाद: सरकारें चाह कर भी आसानी से नहीं बना पाएंगी कानून, ये हैं बड़ी वजहें

मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ ने जब यह कहा कि लव जेहाद को लेकर के उनकी सरकार कानून बनाएगी तो हरियाणा, मध्य प्रदेश की शिवराज और कर्नाटक की सरकार ने भी इसी बात को दोहराया। ऐसे ही करते हुए अब यह एक बड़ा मुद्दा हुआ है कि क्या लव जिहाद पर कानून बनाया जा सकता है?
 
यह विषय ऐसा है कि जिस पर इतनी आसानी से कानून बनता दिख नहीं रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व प्रमुख सचिव न्याय रहे कि के शर्मा कहते हैं कि लव जिहाद के ऊपर कानून की गुंजाइश ही नहीं क्योंकि एक तरफ हिंदू मैरिज एक्ट है दूसरी तरफ मुस्लिम मैरिज एक्ट है और तीसरी तरफ स्पेशल मैरिज एक्ट है यहां ऐसे प्रावधान हैं जहां पर शादी को लेकर के विवाद होता है तो इन मैरिज एक्ट के तहत उसको निपटाया जा सकता है बल्कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रोलिंग की भी याद दिलाई जहां पर गलत शादी या धोखे की शादी होने पर उसे अवैध करार देने की भी बात बताइए ऐसे में किसी और तरीके का कानून लाने का कोई औचित्य भी नहीं है और संभावना भी नहीं है उनका कहना है।
 
 
कुछ इसी तरीके की राय  आर के यादव जी रखते हैं जो एडिशनल एडवोकेट जनरल भी रह चुके हैं। उनका कहना है  कि जिसे लव जिहाद कहा जा रहा है या लव जिहाद के नाम पर कानून की बात कही जा रही है यह ऐसे मसले हैं कि जिस पर संविधान इजाजत ही नहीं देता है क्योंकि अगर 18 साल से ऊपर कोई है तो अपने फैसले स्वतंत्र होकर के ले सकता है दूसरी बात यह है कि अगर शादी में धोखा हुआ है तो वह ऐसे कई प्रावधान है जिसके तहत  जो मैरिज एक्ट है जो कि कॉन्ट्रैक्ट कहा जाए तो ऐसे कोई भी धोखे के  कॉन्ट्रैक्ट होते हैं उसकी वैधता खत्म हो जाती है तो अगर शादी में धोखा हुआ है तो उसके लिए पहले से ही इस तरह के प्रावधान है कि जहां पर आप धोखे को लेकर के कोर्ट में जाएं और ऐसी शादियां रद्द हो जाती हैं तो सिर्फ लव जिहाद को लेकर के और उस पर कानून बनाने की कोशिश को वह दरकिनार करते हैं उनका कहना है कि यह सही भी नहीं है और मुमकिन भी नहीं है।
 
 
वहीं दूसरी तरफ यूपी हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एपी ओझा कहते हैं कि लव जिहाद का मतलब है कि अपने आप पहचान को छुपा कर के अगर कुछ करें और शादी के बाद आपकी पहचान कुछ और निकलती है या शादी होने के कगार तक आपकी पहचान कुछ और निकलती है ऐसी सभी स्थितियों को लेकर के संभावना है कि कानून बनाया जा सकता है उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा कि इसमें जो पीड़ित पक्ष है उसे शिकायत करनी होगी और जिस पर आरोप लगाया जाएगा उसे सिद्ध करना होगा कि वह निर्दोष है इसके लिए उन्होंने दो उदाहरण बताएं कि जैसे दलित उत्पीड़न में जो आरोपी होता है उसे सिद्ध करना होता है कि उसने उत्पीड़न नहीं किया जैसे दहेज उत्पीड़न के मामले में यह आरोपी को सिद्ध करना होता है कि उसने ऐसा नहीं किया कुछ इस तर्ज पर कानून के विशेषज्ञ सोचेंगे तो संभावना है कि किसी तरीके के कानूनी ढांचे में ऐसा कानून बन सकता है संविधान के ढांचे को देखते हुए। 
 
हाल ही मे  इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने इसी तरह के  लड़का और लकडी के अलग अलग धर्म के होने और बाद मे लडकी के धर्म परिवर्तन कर शादी किये जाने पर टिप्पणी की  " सिर्फ शादी को लेकर के धर्म परिवर्तन ठीक नहीं है" वैसे कोई भी किसी भी धर्म में शादी कर सकता है लेकिन शादी के लिए धर्म परिवर्तन हो हाई कोर्ट के जज ने गलत माना और केस को खारिज कर निचली अदालत मे सुनवाई को भेज दिया ।
 
अब इस तरह के माहौल मे लव जिहाद का कानून किसी सार्थक हो ,साक्ष्य हो और तथ्यों पर निकालना कठिन काम है ।सूत्रो का कहना है सीएम योगी के इस बात को लेकर न्याय और गृह विभाग सम्पर्क मे है की किस तरह कानून बनाए और जल्दी ही बनना चाह रहे है।
 
वैसे योगी राज मे सार्वजनिक संपति को नुक्सान पहुचाने पर उस की फोटो चौराहो पर लगाने का कानून बनाया अब बलत्करियो की फोटो भी चौराहो पर लगाने के कानून की तैयारी ज़ोर शोर से चल रही है। इसी तर्ज़ पर लव जिहाद के कानून पर सरकार का चिंतन मनन शुरु है बस इसमे पैचीदगिया बहुत है ।कठिनाई ये है की संविधान की मूल भावना को ,मूल अधिकार को भी आहत ना करे और कोई इसका दुरूपयोग ना करे ऐसी भी व्यवस्था को लाना आसान तो नही दिखाई पड़ता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad