प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार और ''जय श्री राम'' के नारों की गूंज के बीच भगवा ध्वज फहराया। इस अनुष्ठान के साथ ही मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया। यह ध्वजारोहण मंदिर निर्माण के पूर्ण होने और सांस्कृतिक उत्सव तथा राष्ट्रीय एकता के एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान श्रीराम और मां सीता की ‘विवाह पंचमी’ के अभिजीत मुहूर्त पर तिकोने झंडे का आरोहण किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "... आज अयोध्या नगरी भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक और बिंदु की साक्षी बन रही है। आज संपूर्ण भारत और विश्व राममय है... हर राम भक्त के हृदय में अपार अलौकिक आनंद है। सदियों के घाव भर रहे हैं। आज सदियों की वेदना विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि को प्राप्त हो रहा है..."।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इसका भगवा रंग और इस पर रचित सूर्यवंश की ख्याति और अंकित कोविदार वृक्ष राम राज्य की कृति को प्रतिरूपित करता है। ये ध्वज संकल्प, सफलता, सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है.."।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आने वाली सदियां और सहस्र शताब्दियों तक ये धर्म ध्वज प्रभु राम के आर्दशों और सिद्धांतों का उद्घोष करेगा,ये धर्म ध्वज आह्वान करेगा कि सत्य की जीत होती है असत्य की नहीं। ये धर्म ध्वज उद्घोष करेगा कि सत्य ही ब्रह्म का स्वरूप है। सत्य में ही धर्म स्थापित है। ये धर्म धर्म ध्वज प्रेरणा बनेगा कि प्राण जाए पर वचन न जाए यानी जो कहा वही किया जाए..."।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं संपूर्ण विश्व के करोड़ों राम भक्तों को इस अविस्मरणीय क्षण की इस अद्वितीय अवसर की शुभकामनाएं देता हूं। मैं आज उन सभी भक्तों को भी प्रणाम करता हूं हर उस दानवीर को भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए अपना सहयोग दिया। मैं राम मंदिर निर्माण से जुड़े हर श्रमवीर, हर कारीगर, हर योजनाकार, हर वास्तुकार का अभिनंदन करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, " यहां एक ही स्थान पर माता अहिल्या है, महर्षि वाल्मीकि हैं, महर्षि वशिष्ठ हैं, महर्षि विश्वामित्र हैं, महर्षि अगस्त्य हैं और संत तुलसीदास हैं। रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं।यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं। जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं। मैं हर देशवासी से कहूंगा कि जब आप राम मंदिर के दर्शन करे तो सप्त मंदिर के दर्शन भी करे। ये मंदिर आस्था के साथ-साथ मित्रता, सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को भी शक्ति देते हैं हम सब जानते हैं कि राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं।"
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार ध्वज पर ‘‘भगवान श्री राम की प्रतिभा और वीरता का प्रतीक चमकते सूर्य की तस्वीर है। इस पर कोविदार वृक्ष की तस्वीर के साथ ओम लिखा है।
उसने कहा कि भगवा ध्वज ‘‘रामराज्य के आदर्शों को दिखाते हुए गरिमा, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता का संदेश देगा।’’
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा कि इस समारोह के साथ राम मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया।
यह ध्वज पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में बने शिखर पर फहराया गया, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा (दक्षिण भारतीय वास्तु शैली में डिजाइन किया गया घेरा) मंदिर की शिल्पविविधता को दिखाता है।
मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर की बाहरी दीवारों पर वाल्मीकि रामायण पर आधारित भगवान श्री राम के जीवन से जुड़े 87 प्रसंग बारीकी से पत्थरों पर उकेरे गए हैं। घेरे की दीवारों पर भारतीय संस्कृति से जुड़े 79 कांस्य-ढाल वाले प्रसंग अंकित हैं।
ध्वजारोहण के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।
इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी सप्त मंदिर पहुंचे और महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुह और माता शबरी मंदिर में भी शीश झुकाये। मोदी ने मां अन्नपूर्णा के भी दर्शन किये। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में पहुंचकर भगवान राम लला की आरती और पूजन किया।
इससे पहले अयोध्या पहुंचने पर उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण उत्सव में हिस्सा लेने के लिए अयोध्या पहुंचा!’’