पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने एवं अकर्मण्यता के चलते पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से मुक्त करते हुए डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया।
पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी डीजीपी को शासकीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते हटाया गया है। शासन के उच्चाधिकारियों में चर्चा भी है कि मुख्यमंत्री योगी द्वारा ऐसा निर्णय लेकर कानून व्यवस्था ठीक करने का एक संदेश दिया गया है।
मुकुल गोयल इससे पहले काफी विवादों में भी रह चुके हैं। कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुईं, जब उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठे। इसी कड़ी में दो दशक पहले 2000 में मुकुल गोयल को उस समय एसएसपी के पद से सस्पेंड कर दिया गया था। जब पूर्व बीजेपी विधायक निर्भय पाल शर्मा की हत्या हो गई थी। मिली जानकारी के अनुसार 2006 के कथित पुलिस भर्ती घोटाले में कुल 25 आईपीएस अधिकारियों का नाम सामने आए थे, जिसमें मुकुल गोयल का नाम भी शामिल था।
1987 बैच के आईपीएस
मुकुल गोयल 1987 बैच के आईपीएस हैं। हालांकि उन्होंने कई अहम पदों पर काम भी किया है और उन्हें उनके काम के लिए सम्मान भी मिला है। 22 फरवरी 1964 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मुकुल गोयल का जन्म हुआ था। आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल में बीटेक करने के साथ मुकुल गोयल ने मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री हासिल की थी। इसके अलावा फ्रेंच भाषा के जानकार भी माने जाते हैं।
1987 में आईपीएस बनने के बाद मुकुल गोयल की पहली तैनाती एडिशनल एसपी नैनीताल में हुई थी, तब यह उत्तर प्रदेश में जगह थी, अब उत्तराखंड में है। प्रोबेशन पीरियड खत्म करने के बाद एसपी सिटी बरेली बनाए गए और बतौर कप्तान मुकुल गोयल का पहला जिला अल्मोड़ा रहा। अल्मोड़ा के बाद मुकुल गोयल लगातार कई जिलों में कप्तान रहे, जिसमें जालौन, मैनपुरी, आजमगढ़, हाथरस, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मेरठ शामिल रहे। कुछ समय के लिए मुकुल ईओडब्ल्यू और विजिलेंस में भी एसपी के पद पर अपनी सेवा दे चुके हैं।
डीजीपी की रेस में कुछ नाम
नयी नियुक्ति होने तक एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार डीजीपी का चार्ज सम्हालेंगे। वहीं डीजीपी बनने की रेस में कुछ नाम सामने आ रहे हैं। वर्तमान में डीजी इंटेलीजेंस डीएस चौहान का नाम सबसे ऊपर चलने लगा है। पहले भी माना जा रहा था कि यह डीजीपी बन सकते हैं। रेस में डीजी भर्ती बोर्ड राजकुमार विश्वकर्मा और डीजी जेल आनंद कुमार भी बन सकते हैं। आनंद पहले कानून व्यवस्था का पद भी सम्हाल चुके हैं। यह दोनों अधिकारी 1988 बैच के हैं। इसके अलावा डीजी प्रशिक्षण आरपी सिंह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी का नाम डीजीपी बनने की लाइन में आ रहा है।