अयोध्या में राम मंदिर निर्माण इन दिनों चर्चा में है। वहीं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बंसल भी सुर्खियों में हैं। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट ने एक जमीन खरीदी है। समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि पहले यह जमीन 2 करोड़ रुपए में बेची गई। बाद में इसी जमीन को कुछ मिनट के ही अंतराल पर ट्रस्ट ने 18 करोड़ में खरीद लिया और पैसे का हेरफेर किया गया। हालांकि ट्रस्ट ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि सर्किल रेट और बाजार मूल्यों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शी तरीके से ही जमीन खरीदी गई है।
इन आरोपों पर पिछले दिनों श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम 100 साल से आरोप झेलते रहे हैं। महात्मा गांधी की हत्या के आरोप भी हम पर लगे हैं। हम आरोपों की चिंता नहीं करते और इसकी चिंता मीडिया भी ना करें। मीडिया अपना काम करें, हम अपना काम करेंगे। चंपत राय ने कहा कि हम आरोप का अध्ययन करेंगे, इससे अधिक हमें कुछ नहीं कहना है।
बता दें कि अयोध्या राम मंदिर आंदोलन और राम मंदिर निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बंसल उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना कस्बे के सरायमीर मोहल्ले के रहने वाले हैं। 18 नवंबर, 1946 को रामेश्वर प्रसाद बंसल और सावित्री देवी के परिवार में उनका जन्म हुआ था। पिता रामेश्वर प्रसाद जीवन के शुरुआती दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य रहे।
बाद में चंपत राय भी संघ प्रभावित हुए और युवावस्था में संघ के पूर्णकालिक सदस्य बन गए। बाद में चंपत राय धामपुर के आरएसएम डिग्री कॉलेज में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर बन गये। कहा जाता है कि 25 जून, 1975 को जब देश में आपातकाल लगा तब चंपत राय आरएसएम कॉलेज, धामपुर में प्रवक्ता थे, इस दौरान पुलिस जब उन्हें गिरफ्तार करने कॉलेज पहुंची तो चंपत राय प्रिंसिपल के कक्ष में बुलाए गये। उस दौरान वो कॉलेज में छात्रों को पढ़ा रहे थे।
उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि प्राचार्य कक्ष में चंपत राय ने पुलिस से कहा कि वो घर से कपड़े लेकर कोतवाली पहुंच रहे हैं और अपने कहे मुताबिक बाद में वो कोतवाली पहुंचे थे जहां उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल में करीब 18 महीने रहने के बाद जब आपातकाल समाप्त हुआ तो उनको रिहा किया गया। इसके बाद चंपत राय 1980-81 में अपना इस्तीफा सौंपकर संघ के प्रचारक बन गए। पहले जिला देहरादून, सहारनपुर में प्रचारक रहे, उसके बाद साल 1985 में मेरठ के विभाग प्रचारक रहे। 1986 में संघ के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें विश्व हिंदू परिषद में प्रांत संगठन मंत्री बनाकर भेज दिया।
चंपत राय वर्ष 1991 में क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाकर अयोध्या भेज दिये गए। इसके बाद 1996 में वो वीएचपी के केंद्रीय मंत्री बनाए गए। 2002 में संयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए। अविवाहित चंपत राय का अपने घर आना-जाना बहुत कम ही होता है।