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कौन है प्रताप चंद्र जिसने WHO , ICMR और सीरम पर केस करने को कहा, धोखा बना वजह

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के एक व्यापारी ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई), वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन...
कौन है प्रताप चंद्र जिसने WHO , ICMR और सीरम पर केस करने को कहा, धोखा बना वजह

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के एक व्यापारी ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई), वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए एप्लीकेशन दी है। यह एप्लिकेशन टूर एंड ट्रैवेल्स का बिजनेस करने वाले प्रताप चंद्र ने दिया है। दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार उनका आरोप है कि कोवीशील्ड की पहली डोज लगवाने के बाद भी उनके शरीर में एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई। यह लोगों के साथ धोखा है, इसलिए इसे बनाने वाली कंपनी और उसे मंजूरी देने वाली संस्थानों के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।


शिकायत में शामिल है इनके नाम

व्यापारी प्रताप ने इसके खिलाफ एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाल, डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉक्टर टेड्रोस एधोनम गेब्रेसस, आईसीएमआर के डायरेक्टर बलराम भार्गव, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर अपर्णा उपाध्याय के खिलाफ लखनऊ के आशियाना थाने में शिकायत पत्र दिया है।

इस शिकायत पर इंस्पेक्टर पुरुषोत्तम गुप्ता का कहना है कि मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क किया गया है। शासन स्तर पर इस पूरे मामले की जांच की जाएगी।

वैक्सीन लगवाने के बाद कम हुई प्लेटलेट्स

प्रताप चंद्र का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई थी जिसके कारण उनकी प्लेटलेट्स घट गई। उन्होंने बताया कि मैंने 21 मई को आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी थी। इसमें उसके डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने स्पष्ट कहा था कि कोवीशील्ड की पहली डोज लेने के बाद से ही शरीर में अच्छी एंटीबॉडी बनने लगती है। जबकि कोवैक्सिन की दोनों डोज के बाद एंटीबॉडी तैयार होती है। इसके बाद उन्होंने 24 मई को सरकारी लैब में एंटीबॉजी जीटी टेस्ट कराया। जिसमें पता लगा कि उनमें अभी तक एंटीबॉडी नहीं बनी है। बल्कि प्लेटलेस्ट भी घटकर तीन लाख से डेढ़ लाख पहुंच गई। उनका कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है। उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया गया है।

प्रताप की शिकायत

उन्होंने शिकायत की कि एसआईआई ने इस वैक्सीन को बनाया। आईसीएमआर, डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के इसका प्रचार किया। इसलिए यह लोग भी दोषी हैं। उन्होंने कहा कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूं। इसके बावजूद मुझे आरएनए बेस्ड इंजेक्शन लगा है। ये सीरम इंस्टीट्यूड ने अपनी वेबसाइट में खुद लिखा है। यह पूरी दूनिया में बैन है, लेकिन हमारे यहां चल रहा है। इससे मेरी जान जा सकती है। इसलिए मैंने हत्या के प्रयास और धोखाधड़ी की धारा लगवाने के लिए एप्लीकेशन दी है।

प्रताप ने कहा कि मैं अकेला नहीं हूं जिसमें एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई है। मेरे जैसी कई और लोग भी हैं। इसके लिए मैं 6 जून को कोर्ट खुलने के बाद याचिक दायर करूंगा। यह सरकार का काम है कि वह पता करें कि मेरे और मैरे जैसे बहुत से लोग के साथ क्या हो रहा है? 

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