12 नवंबर से उत्तरकाशी में ध्वस्त सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग में 41 श्रमिकों के फंसे हुए 12 दिन से अधिक हो गए हैं। 4.5 किमी (3-मील) लंबे सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। फंसे हुए लोगों की पहली तस्वीरें मंगलवार, 21 नवंबर को सामने आईं, जिसमें वे एक संकरे स्थान पर खड़े थे और बचावकर्मियों के साथ बातचीत कर रहे थे।
इन 41 मजदूरों को इस गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स को शामिल किया गया है। डिक्स ने सोमवार यानी 20 नवंबर को सुरंग स्थल का निरीक्षण किया। घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद प्रोफेसर डिक्स ने मीडिया से बात की और बचाव अभियान को लेकर आशावादी दिखे। तो आइए जानते हैं कौन हैं अर्नोल्ड डिक्स जिनके ऊपर हैं उन 41 मजदूरों की जान बचाने की जिम्मेदारी।
अर्नोल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। वह टनलिंग में उत्कृष्टता के लिए 2011 एलन नेलैंड ऑस्ट्रेलेशियन टनलिंग सोसाइटी के द्वि-वार्षिक पुरस्कार भी जीत चुके हैं।
सुरंगों में फायर सिक्योरिटी बढ़ाने के उनके प्रयासों को अभूतपूर्व माना गया है। अभी हाल ही में, 2022 में, उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन द्वारा कमिटी सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया गया था, जो सुरंग सुरक्षा के लिए कोड और मानकों को विकसित करने में उनकी निरंतर और मूल्यवान सर्विस का प्रमाण है।
उनके पास कई जटिल क्षेत्रों में विशेषज्ञता है, जिसमें कानूनी, राजनीतिक, नैतिक और तकनीकी जोखिम और भूमिगत निर्माण से संबंधित पर्यावरणीय जोखिम शामिल है। एक वैज्ञानिक के रूप में योग्य, अर्नोल्ड डिक्स ऑस्ट्रेलिया के हाईकोर्ट के बैरिस्टर के रूप में पंजीकृत एक वकील भी हैं। हालांकि वह पर्यावरण, विज्ञान, कानून, नैतिकता, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के प्रबंधन जैसे कई उपविषयों के साथ इंजीनियरिंग और भूमिगत निर्माण की दुनिया के भी जाने-माने एक्सपर्ट हैं।
उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, अर्नोल्ड ने अपनी स्कूली शिक्षा यूके में हैलेबरी से पूरी की। उन्होंने मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से कानूनी पेशेवर और कॉर्पोरेट कानून कानून के साथ संयुक्त भू-तकनीकी और इंजीनियरिंग विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
फिलहाल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के वास्ते मलबे के बीच से पाइप को डालने का प्रयास किया जा रहा है। बृहस्पतिवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है उसमें दरारें दिखाई दीं। इसके बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी। ड्रिलिंग का काम शुक्रवार को सुबह भी प्रारंभ नहीं हो सका।
प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुलबे ने सिलक्यारा में पत्रकारों से कहा कि मशीन के प्लेटफार्म को ठीक कर लिया गया है, साथ ही उसे मजबूत भी किया गया है। ‘ऑगर’ मशीन के जरिए मलबे के बीच से पाइप डालने का काम पूर्वाह्न 11.30 बजे शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अभी 12-14 मीटर और जाना है। मुझे उम्मीद है कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो शुक्रवार शाम तक अभियान समाप्त हो सकता है।’’