26सितंबर, 2016 को सिंह पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली मथुरा में भी पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित करेंगे। इस क्रम में एक राष्ट्रीय पुरस्कार और 10 जोनल पुरस्कार विजेताओं को एक समारोह में सम्मानित किया गया। पं. दीन दयाल उपाध्याय, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र का निर्माण करने और निर्धनतम लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए समर्पित कर दिया था, द्वारा किए गए योगदान का सम्मान करने के लिए पूरे राष्ट्र में आयोजित किए जा रहे शताब्दी समारोहों के भाग के रूप में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इस वर्ष (2016) से पंडित दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय कृषि पुरस्कार (राष्ट्रीय और जोनल) आरंभ किया है। इसमें राष्ट्रीय स्तर पर एक लाख रूपये का एक पुरस्कार और प्रत्येक 50 हजार रूपये के 11 जोनल पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र एवं प्रमाण-पत्र प्रति वर्ष दिए जाएंगे। इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, मछलीपालन आदि क्षेत्रों में एकीकृत तथा टिकाऊ मॉडलों को विकसित करने हेतु सीमांत, छोटे और भूमिहीन किसानों के योगदान को मान्यता प्रदान करना है।
वर्ष 2016 की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता दिनपुर, नजफगढ़ से एक अत्यधिक उद्यमशील महिला किसान कृष्णा यादव रहीं हैं। उन्हें यह पुरस्कार उनकी खाद्य पदार्थों विशेषरूप से फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए प्रदान किया गया है। वह नजफगढ़, नई दिल्ली की एक सफल खाद्य प्रंसस्करण उद्यमी हैं। उसकी सड़क पर‘सब्जी बेचने’से लेकर कारखाना खोलने की असाधारण उद्यमिता यात्रा महिला सशक्तिकरण का एक अनुकरणीय उदाहरण है। वे लगभग 15 क्विंटल फल एवं सब्जियों के प्रसंस्कृत उत्पादों का विनिर्माण करती हैं और अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया कराती हैं।
जोनल पुरस्कार विजेताओं में जिन्दर सिंह, जो रूपनगर, पंजाबके एक छोटे किसान हैं उन्होंने पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के और दिल्ली के राज्यों को शामिल करते हुए जोन I से पुरस्कार प्राप्त किया है।उन्होंने ‘’चमकौर साहिब पनीरी फार्म’’के ब्रान्ड नाम के तहत सब्जी फसलों की नर्सरी तैयार करने और बेचने का कार्य आरंभ किया है। वर्ष 2011 में उन्होंने खेती से होने वाली अपनी आय को बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन का कार्य आरंभ किया था। उन्होंने सब्जी की खेती करने तथा उत्पादन करने में प्रगति हेतु निकटवर्ती क्षेत्रों से अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के राज्यों को शामिल करते हुए जोन II से पुरस्कार की विजेता पूजा शर्मा, हरियाणा से एक छोटी कृषक हैं जिन्होंने कृषि के अपने नवोन्मेष तरीकों के लिएसर्वतोमुखी पुरस्कारप्राप्त किया है। उन्होंने सोयाबीन उत्पादों के निर्माण के लिए आईएआरआई प्रौद्योगिकी का अनुपालन किया और राष्ट्रीय स्तर एवं राज्य स्तर पर भी उत्पाद के विपणन के लिए स्वयं सहायता समूह प्रारंभ किया। उन्होंने प्रोटीन वर्धक उत्पाद के रूप में सोयाबीन के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने में सहायता की है जो उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए उपलब्ध है और इसका परिणाम उनके स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के रूप में सामने आया है।