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बंदूक वाले हाथों में सज रही है मेंहदी, पुलिस वाले होंगे बाराती

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की गोलियों का सामना कर रही पुलिस अब इन्हीं नक्सलियों का घर बसाने जा रही है। राज्य का बस्तर जिला शनिवार को माओवादी जोड़े के विवाह का गवाह बनेगा। राज्य के अति नक्सल प्रभावित बस्तर जिले की पुलिस इन दिनों जिले के दरभा क्षेत्र की निवासी कोसी मरकाम और बीजापुर जिले के पोडियामी लक्ष्मण के विवाह की तैयारी में है। विवाह के लिए जिला मुख्यालय जगदलपुर के गांधी मैदान को तैयार किया गया है और समारोह के लिए मेहमानों को निमंत्रण पत्र भी भेजा जा चुका है।
बंदूक वाले हाथों में सज रही है मेंहदी, पुलिस वाले होंगे बाराती

बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक आर. एन. दास ने बताया कि इस महीने की 16 तारीख को पुलिस ने नक्सल प्रेमी जोड़े की शादी करवाने का फैसला किया है। पुलिस ने शादी के लिए तैयारियां पूरी कर ली है। दास ने बताया कि दरभा डिवीजन कमेटी के प्लाटून नंबर 26 की सदस्य रही कोसी ने वर्ष 2015 में नक्सली संगठन को छोड़कर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। वहीं इंद्रावति एरिया कमेटी के जनमिलिशिया के डिप्टी कमांडर पोडि़यामी लक्ष्मण ने वर्ष 2014 में समर्पण किया था। समर्पण के बाद दोनों पुलिस की सुरक्षा में शिविर के करीब रह रहे हैं। पिछले दिनों दोनों ने पुलिस के सामने शादी करने की इच्छा जाहिर की थी। आत्मसमर्पित नक्सलियों की इच्छा को देखते हुए पुलिस ने दोनों की शादी धूमधाम से करवाने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि जिले में काम करने वाली स्वयं सेवी संस्था सामाजिक एकता मंच ने कोसी को गोद ले लिया है तथा वह कोसी की शादी का पूरा खर्च उठाने के लिए तैयार है। वहीं वर पक्ष की ओर से जिले की पुलिस है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोसी और पोडियामी लक्ष्मण की प्रेम कहानी भी दिलचस्प है। नक्सली आंदोलन में रहने के दौरान दोनों एक दूसरे से मिले जरूर थे लेकिन प्रेम और शादी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे, क्योंकि नक्सली आंदोलन से जुड़े सदस्यों को प्रेम और शादी की मनाही है और यदि कोई हिम्मत कर शादी कर भी लेता है तब उसकी जबरन नसबंदी कर दी जाती है। कोसी और लक्ष्मण ने नक्सलियों की इस बर्बरता को करीब से देखा है और आंदोलन में रहने के दौरान दोनों शादी करने और घर बसाने की नहीं सोच सके। आत्मसमर्पण करने के बाद जब दोनों पुलिस की सुरक्षा में रहने लगे तब दोनों के बीच प्रेम उपजा और शादी के लिए एक दूसरे की सहमति ली। बाद में उन्होंने पुलिस के सामने इच्छा जताई।

दास कहते हैं कि दोनों की इच्छा का सम्मान करते हुए पुलिस ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी और इसके लिए सामाजिक एकता मंच सामने आया। सामाजिक एकता मंच के सदस्य मनीष पारख कहते हैं कि जब उन्हें जानकारी मिली कि आत्मसमर्पित नक्सली शादी करना चाहते हैं तब उन्होंने सामाज के सभी वर्ग की राय लेकर तथा सभी के सहयोग से यह शादी कराने का फैसला किया। पारख बताते हैं कि शादी के लिए चार हजार निमंत्रण पत्र छपवाए गए हैं तथा सभी प्रमुख लोगों को निमंत्रण भेजा चुका है। शादी पूरे पारंपरिक रीतिरिवाज से संपन्न होगी और आशिर्वाद के रूप में जो भी उपहार प्राप्त होंगे वह वर वधु को सौंप दिए जाएंगे।

सामाजिक एकता मंच के सदस्य कहते हैं कि बस्तर क्षेत्र नक्सल समस्या से त्रस्त है और इससे क्षेत्र का विकास रूक गया है। हम इस विवाह के माध्यम से नक्सलियों तक संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि वह बंदूक छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं, समाज उन्हें स्वीकारने और उनका स्वागत करने के लिए तैयार है।

 

 

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