अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी और व्हाइट हाउस प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस के निदेशक सर्जियो गोर को भारत में अगला अमेरिकी राजदूत नामित किया है। गोर को इसके साथ ही दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के लिए विशेष दूत भी नियुक्त किया गया है। राजदूत पद के लिए उन्हें अमेरिकी सीनेट की मंजूरी लेनी होगी, जबकि विशेष दूत की भूमिका के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है। मंजूरी मिलने तक वे अपने वर्तमान पद पर बने रहेंगे।
ट्रंप ने गोर की वफादारी और उनकी टीम बनाने की क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भारत जैसा महत्वपूर्ण और जनसंख्या वाला क्षेत्र संभालने के लिए उन पर भरोसा किया जा सकता है। गोर लंबे समय से रिपब्लिकन राजनीति और ट्रंप कैंपेन से जुड़े रहे हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ एक पब्लिशिंग हाउस भी स्थापित किया था और ट्रंप प्रशासन में नियुक्तियों में अहम भूमिका निभाई है।
यह नियुक्ति ऐसे समय आई है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। उनका कहना है कि भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बढ़ाने और व्यापार वार्ता के विफल होने के चलते यह कदम उठाना पड़ा। ऐसे माहौल में नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
सर्जियो गोर की पृष्ठभूमि भी चर्चा में रही है। 1986 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में जन्मे गोर बचपन में माल्टा और बाद में अमेरिका चले गए। उन्होंने जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और अमेरिकी राजनीति में सक्रिय हो गए। मीडिया में वे उस समय सुर्खियों में आए जब एलन मस्क ने उन्हें “स्नेक” यानी “सांप” कहकर निशाना बनाया था। दरअसल, गोर ने एक बार मस्क के करीबी सहयोगी की नासा से जुड़ी नामांकन प्रक्रिया में बाधा डाली थी।
भारत में अमेरिकी राजदूत का पद लंबे समय से खाली था। गोर की नियुक्ति को ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत को दिए जाने वाले महत्व का संकेत माना जा रहा है। हालांकि, व्यापारिक तनाव और बढ़ते टैरिफ विवाद के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि गोर किस तरह दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाते हैं।