चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रविवार से तियानजिन में शुरू हो रहे दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेताओं की मेज़बानी करेंगे। यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका द्वारा चीन और भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ युद्ध के खिलाफ शक्ति-प्रदर्शन की तैयारी मानी जा रही है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जिनपिंग पीएम मोदी और पुतिन का व्यक्तिगत रूप से स्वागत करेंगे। यह पीएम मोदी की 2018 के बाद पहली चीन यात्रा है। उनका आगमन भारत-चीन रिश्तों को रीसेट करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है, जो 2020 की गलवान घाटी झड़पों के बाद बिगड़ गए थे।
इस बार का SCO शिखर सम्मेलन ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर टैरिफ युद्ध छेड़ रखा है। भारत पर 50% शुल्क लगाया गया है, रूस पर पहले से ही कड़े प्रतिबंध हैं और चीन को चेतावनी दी गई है कि अगर उसने दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर रोक लगाई तो अमेरिकी सामान पर 200% टैरिफ लगा दिया जाएगा।
ऐसे हालात में SCO जिनपिंग, पुतिन और भारत की उस रणनीति का अहम हिस्सा बन गया है, जिसके जरिए वे वैश्विक ताकत का संतुलन बदलना चाहते हैं और बहुध्रुवीय दुनिया की पैरवी कर रहे हैं। चीनी अधिकारियों ने इसे अब तक का सबसे बड़ा SCO सम्मेलन बताया है, जहां जिनपिंग चीन को स्थिर और ताकतवर विकल्प के रूप में पेश करना चाहेंगे, खासकर तब जबकि अमेरिका लगातार वैश्विक गठबंधनों को हिला रहा है।
यह शिखर सम्मेलन पुतिन के लिए भी अहम है, जहां वे भारत और चीन—दोनों बड़े ऊर्जा खरीदारों के साथ मंच साझा करेंगे। अमेरिका ने रूस से तेल और रक्षा उत्पाद खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जबकि चीन पर ऐसा कोई दबाव नहीं बनाया गया। पीएम मोदी ने अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए साफ कर दिया है कि भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा।
चीन रवाना होने से पहले पुतिन ने बीजिंग के साथ रिश्तों की तारीफ करते हुए इसे “दुनिया के लिए स्थिरता देने वाला कारक” बताया। उन्होंने चीनी एजेंसी शिन्हुआ को कहा कि रूस और चीन “न्यायपूर्ण और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था बनाने की दृष्टि में एकजुट हैं।”