स्टुअर्ट ब्रॉड ने इंग्लैंड टीम के खेल मनोवैज्ञानिकों से खिलाड़ियों को मानसिक रूप से इस तरह ढालने में मदद करने की अपील की है, जिससे वे कोरोना वायरस महामारी के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बहाली होने पर खाली मैदानों में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच आठ जुलाई से शुरू हो रही तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के जरिये कोरोना लॉकडाउन के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट फिर शुरू होगा। क्रिकेटर के लिए मानसिक रूप से कठिन चुनौती होगी।
ये मैच जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में खेले जाएंगे और मैदान पर दर्शक नहीं होंगे। ब्रॉड ने एक वीडियो कांफ्रेंस में कहा, ''ये मैच अलग होंगे, क्योंकि इनमें दर्शक ही नहीं होंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मानसिक रूप से कठिन चुनौती का होगा और हर खिलाड़ी को उसके लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा।''
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में जज्बात पर नियंत्रण रखना है जरूरी
उन्होंने कहा, ''मैंने अपने खेल मनोवैज्ञानिकों से बात की है कि वे मानसिक रूप से इस तरह से ढालने में मदद करें कि हम नए माहौल में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकें।'' ब्रॉड ने कहा, ''अगर आप मेरे सामने एशेज मैच और सत्र से पहले का दोस्ताना मैच रखें तो मुझे पता है कि मेरा प्रदर्शन किसमें बेहतर होगा। मुझे यह तय करना होगा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में जज्बात पर नियंत्रण रखना है और इस पर हम इस महीने की शुरुआत से ही काम कर रहे हैं।''
दबाव में खेलना है पंसद
34 वर्षीय, जिन्होंने अब तक 138 टेस्ट मैचों में 485 विकेट लिए हैं, उन्हें बिना किसी दबाव के खेलना पंसद नहीं, जो कि बिना दर्शकों के नहीं बन पाएगा। हालांकि अब दर्शकों की अनुपस्थिति में क्रिकेट कुछ एसा ही होगा। उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए चिंता का विषय है क्योंकि मुझे पता है कि मैं दबाव में एक खिलाड़ी के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता हूं, खासकर कि जब खेल सबसे रोमांचक होता है और जब खेल को बदलने की जरूरत होती है।
बेन स्टोक्स पहले टेस्ट में पहली बार इंग्लैंड की कप्तानी करेंगे और ब्रॉड का मानना है कि उन्हें इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी। ब्रॉड ने कहा कि स्टोक्स के पास क्रिकेट की जबर्दस्त समझ रखने वाला दिमाग है, जिससे उन्हें जो रूट की जगह कप्तानी करने में मदद मिलेगी। बता दें कि जो रूट अपने दूसरे बच्चे के जन्म के कारण पहला टेस्ट नहीं खेल सकेंगे।