जट्ट सिखों के इर्द-गिर्द घूमती रही पंजाब की सियासत को अलग दिशा देने की कोशिश में कांग्रेस ने सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का पहला दलित मुख्यमंत्री बनाया। इसे मास्टरस्ट्रोक बताया गया और इसी प्रक्रिया में चन्नी को 2022 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी ऐलान किया गया। लेकिन चन्नी के सामने पार्टी के असंतुष्टों को साथ लेकर चलने, दलितों का एकमुश्त वोट हासिल करने और जट्ट सिखों समेत बाकी समुदायों को साथ लेकर चलने जैसी कई चुनौतियां हैं। अगर वे कामयाब नहीं हुए तो न सिर्फ राज्य में बल्कि केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस की सियासी मुश्किलें बढ़ेंगी। इन तमाम सवालों पर आउटलुक के हरीश मानव ने उनसे बात की। प्रमुख अंश:
कहा जाता है कि पार्टी के कई नेताओं के विरोध के बावजूद राहुल गांधी ने आपको मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया है।
मेरे 111 दिन के कामकाज के बारे में पंजाब की जनता और पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की राय के बाद राहुल जी ने मुझे फिर से जनता की सेवा करने का मौका दिया है।
क्या आपको उम्मीद है कि चुनाव से पहले आपको मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने से कांग्रेस बहुमत हासिल करेगी?
पंजाब में राजे-रजवाड़ों के युग का अंत हुआ। मैं आम गरीब परिवार से आगे आया हूं और उम्मीद है कि पंजाब की जनता मेरे 111 दिनों के काम को देखते हुए अगले पांच साल के लिए फिर से मौका देगी।
राहुल गांधी ने कहा कि एक गरीब घर के व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है पर कैप्टन अमरिंदर कह रहे हैं कि चन्नी के पास तो करोड़ों की संपति है। यही बात आपकी पार्टी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी भी कह रही हैं।
मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से कैप्टन साब तनाव में हैं। कुछ भी बोलते हैं। साढ़े चार साल वे लोगों की समस्याओं से दूर रहे। बुजुर्ग हैं, मेरे पुराने नेता रहे हैं। आज भी उनका सम्मान करता हूं इसलिए उन पर मैं ज्यादा टिप्पणी नहीं करूंगा।
आपके विधानसभा क्षेत्र चमकौर साहिब में अवैध खनन के आरोप में ईडी ने आपके भांजे को गिरफ्तार किया और 10 करोड़ रुपये नकद बरामद किए। आप पर भी खनन माफिया को सरंक्षण के आरोप लग रहे हैं।
जिन लोगों ने गलत काम किया है, वे उसका खामियाजा भुगत रहे हैं। मेरे सैकड़ों रिश्तेदार हैं और वे क्या कर रहे हैं, उनकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है। शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी अपने सियासी फायदे के लिए किसी के साथ भी मेरा नाम जोड़ रही है।
चुनाव प्रचार में आप कांग्रेस के साढ़े चार साल के कार्यकाल के बदले अपने 111 दिन के कामकाज को गिना रहे हैं। इन 111 दिनों के काम को लेकर भी विरोधी दलों का आरोप है कि पहले से खस्ताहाल पंजाब को आपने और कंगाल कर दिया?
लोगों को बिजली तीन रुपये यूनिट सस्ती देने से, पानी के बिल माफ करने से, बुढ़ापा पेंशन बढ़ाने से पंजाब का खजाना खाली कैसे हुआ है। लोक भलाई के लिए किए गए इस खर्च से खजाना खाली नहीं होता। लोगों का पैसा लोगों पर खर्च किया जा रहा है।
आपकी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने पिछले दिनों कहा कि कैप्टन अमरिंदर के बदले जब नए मुख्यमंत्री का चयन हो रहा था तब उनके समर्थन में 42 विधायक थे, आपके समर्थन में सिर्फ 2 विधायक थे। फिर भी आपको चुना गया।
कैप्टन साब को हटाए जाने के बाद मैं तो मुख्यमंत्री की दौड़ में था ही नहीं तो मेरे हक में कितने विधायक थे, इस बात का कोई मतलब ही नहीं है। मुझ पर कांग्रेस आलाकमान ने विश्वास जताया है और मैंने विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की है।
ओबीसी वर्ग के ज्ञानी जैल सिंह को छोड़कर पंजाब की सत्ता पर ज्यादातर समय जट्ट सिख मुख्यमंत्री काबिज रहे हैं। आप पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। आपको क्या लगता है कि इस बार के चुनाव में यह बड़ा बदलाव नतीजों को कांग्रेस के पक्ष में करेगा?
कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष पार्टी है, सभी वर्गों को साथ लेकर चलती है। मैं इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं देखता। कॉलेज के समय से ही मैं राजनीति में सक्रिय हूं। तीन बार पाषर्द चुना गया, दो बार पालिका प्रधान बना, एक बार निर्दलीय विधायक चुना गया। लगातार तीसरी बार विधायक बनने के बाद मुझे मुख्यमंत्री बनाया गया। इसे किसी जाति या धर्म के साथ जोड़कर न देखा जाए।
आप दो सीटों चमकौर साहिब और भदौड़ से चुनाव लड़ रहे हैं। क्या एंटी-इन्कंबेंसी के चलते चमकौर साहिब में आश्वस्त नहीं थे इसलिए दूसरी नई सीट भदौड़ चुनी?
यह पार्टी का फैसला था। मुझे तो दोनों सीटों से ही लोगों का प्यार मिल रहा है और मतदान में भी मिलेगा।
लगता है, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पूरे पंजाब में चुनाव प्रचार से दूरी बना रखी है, वे अपनी अमृतसर पूर्वी सीट तक सिमट कर रह गए हैं जबकि आप पूरे पंजाब में प्रचार कर रहे हैं।
ऐसा नहीं है। उन्हें जितना समय मिलता है, उतने में प्रचार करते हैं। राहुल जी, प्रियंका जी के अलावा हमारी पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता प्रचार में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस का मुकाबला शिरोमणि अकाली दल से है या आम आदमी पार्टी से?
कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में फिर से उभरेगी। 2017 में 77 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार 80 के पार होगी। अभी तक इसके मुकाबले कोई दल नहीं है।
कई राजनीतिक विश्लेषकों का कयास है कि आम आदमी पार्टी के पक्ष में अंडर करंट है और वह बहुमत के करीब है?
कयासों में सच्चाई नहीं है। आम आदमी पार्टी पंजाबियों की आंख में धूल नहीं झोंक सकती। उसके उम्मीदवार भी आम आदमी नहीं हैं। 40 से अधिक उम्मीदवार कांग्रेस, भाजपा और शिअद के भगोड़े हैं।
अगली बार फिर मुख्यमंत्री बनते हैं तो आपका पहला काम कौन-सा होगा, जो 111 दिन के कार्यकाल में नहीं हो पाया?
सबसे पहले जिस फाइल को मंजूरी दूंगा, उसमें एक लाख सरकारी नौकरियां देने का प्रावधान होगा।