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इंटरव्यू। सिबिल शिडेल: ‘‘बेवफाई का सुरक्षित और गोपनीय ठिकाना है ग्लीडेन’’

विवाहेतर संबंधों के कारणों की लंबी फेहरिस्त के बीच ग्लीडेन ऐप की भारत की कंट्री मैनेजर, सिबिल शिडेल...
इंटरव्यू। सिबिल शिडेल: ‘‘बेवफाई का सुरक्षित और गोपनीय ठिकाना है ग्लीडेन’’

विवाहेतर संबंधों के कारणों की लंबी फेहरिस्त के बीच ग्लीडेन ऐप की भारत की कंट्री मैनेजर, सिबिल शिडेल ने आउटलुक के सभी सवालों के बहुत बेबाकी से जवाब दिए। भारत में सिर्फ शादीशुदा लोगों के लिए ही ऐप बनाने के मकसद के बारे में उनका यही मानना है कि वेबसाइट या ऐप न होने की स्थिति में भी लोग बाहर रिश्ता तलाशते ही हैं। ऐसे में ग्लीडेन उन लोगों को सुरक्षित और विश्वसनीय मंच प्रदान करता है, जो एक रिश्ते में होने के बाद भी नए रिश्ते में संभावनाएं तलाशते हैं। शिडेल मानती हैं कि रोमांच की तलाश भय पर खत्म नहीं हो जानी चाहिए। विवाहेतर संबंधों पर उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी। कुछ अंश:

जो लोग पहले से ही रिलेशनशिप में हैं, उनके लिए डेटिंग ऐप बनाने का क्या कारण रहा? ऐसा क्यों लगा कि लोग रिश्ते के बाहर भी दूसरा रिश्ता तलाशेंगे?

बेवफाई नई बात नहीं है। हर काल में मोनोगैमी समाज का हिस्सा रही है। लोग विभिन्न कारणों से अपने पहले रिश्ते से बाहर संबंधों को चुनते रहे हैं। कारण कुछ भी हो सकते हैं। मसलन, अंतरंगता की कमी, ऊब, संवाद खत्म होने के अलावा नई चीजों को आजमाने की इच्छा भी इसका एक कारण है। कई बार लोग अपने रिश्ते से खुश नहीं रहते, किसी बात को लेकर उनमें असंतोष रहता है या फिर उन्हें किसी भी कारण से तृप्ति का एहसास नहीं होता। इन सब कारणों ने विवाहेतर संबंधों को एक तरह से खाद-पानी दिया है। आंकड़ों की मानें, तो ऑनलाइन डेटिंग उद्योग के अनुसार, रोमांच की तलाश में डेटिंग वेबसाइटों की सदस्यता लेने वाले 30 प्रतिशत लोग अपनी स्थिति के बारे में झूठ बोलते हैं और अविवाहित होने का नाटक करते हैं। वास्तव में वे या तो पहले से ही किसी रिश्ते में होते हैं या विवाहित रहते हैं। किसी को अपनी स्थिति के बारे में झूठ बोलकर बात करना एक तरह का धोखा ही है। यही वजह है कि ग्लीडेन ने ऐसे लोगों को अपने संबंध से बाहर संबंध बनाने के लिए एक मंच मुहैया कराया है। यह ऐप ऐसे ही लोगों के लिए है, जो कुछ समय के लिए किसी संबंध की तलाश में हैं। ग्लीडेन सुरक्षित ऑनलाइन ऐप है जहां समान सोच और इच्छा वाले लोग अपनी जरूरतों के लिए दूसरे लोगों से संपर्क कर सकते हैं। यहां लोग पूरी पारदर्शिता के साथ अपनी वैवाहिक स्थिति के बारे में झूठ बोले बिना साथी खोज सकते हैं। इससे अनावश्यक तनाव खत्म हो जाता है, स्थितियां नाटकीय होने से बच जाती हैं।

यह पश्चिमी अवधारणा है, क्या भारत में इसके लिए कोई जगह है?

जैसा कि मैंने पहले भी कहा, बेवफाई नई बात नहीं है और यह दुनिया भर में आम है। संभव है कुछ देशों पर यह बात लागू न होती हो। लेकिन यकीन कीजिए भारतीय बाजार में आधिकारिक रूप से उतरने से पहले ही भारत के लोग ग्लीडेन ऐप के अंग्रेजी संस्करण की सदस्यता ले रहे थे। आपको विश्वास नहीं होगा कि हमारी ओर से बिना किसी प्रचार-प्रसार के 2017 में ही हम 1.3 लाख भारतीयों तक पहुंच बना चुके थे। जब हमने भारत से आने वाले सब्सक्रिप्शन में ऐसा उछाल देखा तब हमने इसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में लाने का फैसला किया। यही वजह थी कि हमने विशेष रूप से भारतीय बाजार (स्थानीय भाषा, भौगोलिक स्थितियां और कई अन्य बातें) के लिए समर्पित ऐप विकसित करने का निर्णय लिया। दिलचस्प है कि हमें तुरंत सफलता भी मिली। इसमें एक बड़ा मोड़ तब आया जब अक्टूबर 2018 में व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया। इसके बाद तो हमारी संख्या आसमान पर पहुंच गई। एक साल से भी कम समय में हमारे 5 लाख से अधिक भारतीय सब्सक्राइबर हो गए। आज 20 लाख से अधिक सक्रिय सदस्य के साथ भारतीय समुदाय सबसे अधिक संख्या में से एक है।

तो क्या माना जाए, ग्लीडेन बेवफाई को प्रोत्साहित करता है?

ऐसा सोचना बिलकुल गलत है। मैं यह साफ कर देना चाहती हूं कि हमारा मंच बेवफाई की वकालत नहीं करता। इसके बजाय आप कह सकते हैं कि हम लोगों को निजी और सुरक्षित क्षेत्र देना चाहते हैं, जहां वे अपनी चाहत और इच्छा को पुनर्भाषित कर सकें।

भारत के लिए इसकी रणनीति कैसी रही, क्योंकि यहां की संस्कृति और मूल्य व्यवस्था अलग है?

भारत की अपनी विशिष्ट संस्कृति और पारंपरिक मूल्य हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। इस समझ को प्रतिबिंबित करने के लिए हमने सावधानीपूर्वक भारत के लिए अपना अभियान तैयार किया। हमने सावधानी बरती कि हमारी किसी भी बात का गलत अर्थ प्रसारित न हो। बिना वजह किसी तरह का कोई विवाद न उपजे। स्थानीय लोगों तक हमारा संदेश सही तरीके से पहुंचे इसके लिए हमने अपनी मार्केटिंग रणनीति और भाषा दोनों को स्थानीय बनाया। सबसे पहले जरूरी थी गोपनीयता और सुरक्षा। हमने इसी पर पूरा जोर लगाया क्योंकि भारत में विवाहेतर डेटिंग बहुत संवेदनशील मामला है। हम आभासी हिस्से पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम जानते हैं कि बेवफाई को हल्के में नहीं लिया जाता, इसलिए हम लोगों को वास्तविक जीवन के मुकाबले आभासी चुहलबाजी का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वर्षों के अनुभव ने हमें सिखाया है कि अधिकांश समय ज्यादातर लोगों के लिए गुदगुदाने वाली बातचीत ही पर्याप्त होती है। चटखारेदार या कहें थोड़ी बहकी हुई बातें करने की मांग सबसे अधिक होती है। ग्लीडेन इसके लिए बस सुरक्षित माहौल देता है।

भारत में हमने यह भी समझा कि भारतीय बाजार के लिए क्षेत्रीयता मायने रखती है। इसके लिए हमने विशेषज्ञों की मदद ली और भारतीय उपयोगकर्ताओं से उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझने और प्रतिक्रिया में बदलाव करने के लिए इनपुट मांगा। कुल मिलाकर, भारत के लिए हमारी संचार रणनीति का आधार सांस्कृतिक संवेदनशीलता के साथ लक्षित उपयोगकर्ताओं के साथ गहरे संबंध थे। हमें लगता है कि इन प्रयासों से हमें भारतीय बाजार में सफल होने में मदद मिली।

यह ऐप शादीशुदा जोड़ों के लिए है। आपको लगता है, डेटिंग ऐप से जुड़ने से वाकई शादी की बोरियत खत्म हो जाती है और शादी बच सकती है?

देखिए, शादी बचाने या कहें बोरियत खत्म करने दोनों के लिए ही कोई तयशुदा फार्मूला नहीं है। जो जोड़े या जोड़े में से कोई एक ऐसे किसी समूह में शामिल होता है, तो इतना तो निश्चित है कि रिश्ते में कुछ न कुछ जटिलता आ गई है। भारत में न भावुकता की कमी है न परिपक्वता की। फिर भी जोड़े उस स्तर तक पहुंच रहे हैं जहां 1500 भारतीय विवाहित व्यक्तियों पर किए गए आइपीएसओएस के सर्वेक्षण के मुताबिक 23 प्रतिशत जोड़े दूसरे संबंध के प्रति खुल रहे हैं जबकि 14 प्रतिशत पहले से ही इस खेल में शामिल हैं। हमारे पास ऐसे बहुत से जोड़े हैं जिन्होंने साथी की अनुमति से अकेले या फिर एक साथ ग्लीडेन को आजमाने का फैसला किया। हम अक्सर भूल जाते हैं कि सफल विवाह में सेक्स ही एकमात्र ड्राइव नहीं है। यह कई बातों से बना है, जिनमें से पहला है संवाद, समझ और साझेदारी।

जब सब कुछ दो लोगों की समझदारी पर निर्भर है तो ऐप की क्या भूमिका होगी?

ऐप किसी भी शादी की एकरसता से अस्थाई रूप से बचने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह स्वीकारना महत्वपूर्ण है कि कोई भी ऐप या वेबसाइट किसी के विवाह को नहीं बचा सकती, लेकिन कई बार संबंध बचा लेती है। मजबूत बंधन के लिए तो रिश्ते में रहने वाले व्यक्तियों को अपनी समस्याओं पर खुद ही बात करनी होगी और खुद ही समाधान भी खोजने होंगे। हां, बोरियत इस बात का संकेत हो सकती है कि किसी जोड़े को फिर से अपने रिश्ते को जीवंत बनाने के लिए प्रयास की जरूरत है। समस्या पर बैंड-एड लगा कर इसे छुपाने के बजाय इसके स्रोत को खोजना हमेशा बेहतर होता है। ग्लीडेन भी जोड़ों को बेवफाई के लिए नहीं उकसाता, न ही वह इसका समर्थन करता है। हम केवल उन लोगों के लिए हैं जो संबंधों में कुछ नया चाहते हैं, लेकिन इसमें भावनाओं का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

इस सर्वे की मेथडोलॉजी क्या थी?

आइपीएसओएस हमारा पसंदीदा संस्थान है और भारतीयों की आदतों, संबंधों और साथी के प्रति व्यवहार के बारे में व्यापक अध्ययन करने का काम हमने उन्हें सौंपा था। यह अध्ययन 12 भारतीय शहरों में रहने वाले 1500 विवाहित व्यक्तियों के नमूने पर आधारित है।

 

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