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इंटरव्यू: तीसरी लहर के बीच यूपी में होने वाले चुनाव को लेकर जानें क्या बोले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप

आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में, कोरोना महामारी के बीच आने वाले दिनों में सात...
इंटरव्यू: तीसरी लहर के बीच यूपी में होने वाले चुनाव को लेकर जानें क्या बोले प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप

आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में, कोरोना महामारी के बीच आने वाले दिनों में सात चरणों में मतदान होने को हैं। पिछली बार जहाँ भी कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव हुए थे, वहां इसके मामले तेजी से बढ़ते नजर आए थे, तो इस बार यूपी सरकार इसको लेकर कितनी सतर्क है, उसकी चुनावी रणनीति क्या है और यूपी की स्वास्थ्य समस्यों पर सरकार क्या कर रही है, इसको लेकर आउटलुक के राजीव नयन चतुर्वेदी ने यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से बातचीत की।

साक्षात्कार के प्रमुख अंश...

कोरोना के दौर में चुनाव का होना और आम समय में चुनाव होने में बहुत फर्क होता है।ऐसे में तीसरी लहर के बीच यूपी में चुनाव होने को हैं,एक स्वास्थ्य मंत्री के नाते आप इसे कैसे देखते हैं?

सबसे पहले तो चुनाव आयोग ने जब अपने कार्यक्रमों को स्पष्ट किया था, तो उन्होंने कहा था कि संविधान के दायरे के अंतर्गत हम चुनावों को टाल नहीं सकते हैं। चुनावों के लिए आयोग ने कई कोविड नियम बनाए हैं, जिसे हम कड़ाई से लागू करेंगे। जहाँ तक कोरोना के बीच चुनाव होने का सवाल है तो पहली और दूसरी लहर के दौरान हमने जो प्रबंधकीय अनुभव प्राप्त किये हैं, वो सफतला पूर्वक चुनाव कराने में हमारे काम आएगी।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का एक बयान आया था कि इस चुनाव को टाल देना चाहिए। लेकिन फिर भी चुनाव हो रहा है। आप इस निर्णय को कैसे देखते हैं?

चुनाव आयोग एक संवैधानिक इकाई है, तो उसका निर्णय एक संवैधानिक निर्णय होता है। यह चुनाव आयोग ही तय कर सकती है कि चुनाव समय से हो या देरी से। हम तो एक राजनीतिक दल हैं और चूंकि सरकार चला रहे हैं, तो हमारा कार्य ये है कि कैसे चुनाव को कोविड प्रोटोकॉल के तहत सम्पन्न कराया जाए, ताकि कम से कम लोग इससे प्रभवित हो सकें।

कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन को आप कितना खतरनाक मानते हैं?

कोरोना के दोनों वैरिएंट डेल्टा और ओमिक्रोन यूपी में पाए गए हैं। हालांकि अब इनका स्वरूप बदल गया है। यूपी में जितने भी मामले मिले हैं, वो ज्यादा सिरियस नहीं हैं। मेडिकल टर्म में कहूँ तो अब डेल्टा का प्रभाव लंग्स पर उतना नहीं हो रहा है। हाँ, नए वेरिएंट में संक्रमण तेजी से हो रहा है, लेकिन लक्षण के हिसाब से अस्पतालों में भर्ती होने की दर कम हैं, तो फिलहाल स्वाभाविक रूप से ये एक कॉमन फ्लू के जैसा ही है। हालांकि हम पूरी तरह से सतर्क हैं।

हम देख रहे हैं कि यूपी में इस बार महिलाएं चुनाव की केंद्र बिंदु हैं। प्रियंका गांधी 'लड़की हूँ, लड़ सकती हूं'नारे के साथ मैदान में हैं और कह रही हैं कि सरकार बनने पर वो महिलाओं को नौकरियों में 40% आरक्षण भी देंगी।आपके हिसाब से ये चुनाव को कैसे प्रभावित कर सकता है?

ऐसे नारों से कुछ नहीं होता है, जब आप ठोस कार्यवाई करते हैं तभी कुछ होता है। हमारे मुख्यमंत्री जी 'कन्या सुमंगला योजना' लाए हैं जिसके जरिये लड़कियों को पढ़ाई में हर तरह से मदद की जा रही है। राजनीति के लिए सिर्फ एक नारा दे देना और अपने फायदे के लिए उन्हें सड़क पर दौड़ाने से कुछ नहीं होता है।

चूंकि आप भी एक किसान हैं, इसलिए मेरा अगला सवाल इसी से जुड़ा हुआ है।आपके हिसाब से कृषि बिल के कारण, भाजपा को चुनावों में कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है?

कृषि बिल 80% लघु और सीमांत किसानों के लिए बनाया गया था। ये उन्हें ही पसंद नहीं आया जो मंडियों के जरिये कमीशन का खेल खेलते थे। रही बात चुनाव में नुकसान की, तो इससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। 2017 में जब हम यूपी में सरकार बनाए थे, तभी 86 लाख किसानों का एक लाख से ऊपर तक का कर्ज माफ किया और हमने ये नियम भी बनाया है कि जो भी किसान अपना पंजीकरण करेगा, उसको उसकी फसल का दाम, एमएसपी के आधार पर 72 घंटे के अंदर मिल जाएगा। हमने 2017 से लेकर अभी तक किसानों से जितनी भी खरीदारी की, वो साल-दर-साल बढ़ती ही गयी। हम किसानों को टैक्टर, बीज और अन्य ऐसे वस्तुओं पर अनुदान भी दे रहे हैं। तो हमने किसानों के लिए कार्य किया है और वो इस चीज को समझते भी हैं।

चूंकि आप स्वास्थ्य मंत्री हैं तो हम फिर से इसी मुद्दे पर वापस आते हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 18,000 लोगों पर मात्र एक डॉक्टर है।आप इस खाई को पाटने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं और रिपोर्ट को कितना वास्तविक मानते हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन का जनसंख्या के हिसाब जो मानक बनाता है कि इतने जनसंख्या पर इतने डॉक्टर होने चाहिए, ये बात सही है। मैं कहूंगा कि पिछली सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। हमने पिछले 3 सालों में एमबीबीएस की संख्या को बढ़ाया। हमारे यहां करीब 8,000 एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी चल रही है, जिसमें से हम 1500 डॉक्टरों को भर्ती कर चुके हैं। दूसरा, हमारे यहाँ एक्सपर्ट्स की कमी थी, इसके लिए हम कुछ नियमवाली में बदलाव कर लोक सेवा आयोग से 3600 पदों को भरने की कोशिश कर रहे है, जिसमें से 600 लोगों को अभी तक हमने भर्ती भी कर लिया गया है। इसके अलावा नर्स, फार्मिसिस्ट, टेक्नीशियन की भर्ती जो पिछले कई वर्षों से लटका हुआ था, उसे भी हम भरने का प्रयास कर रहे हैं।

नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में यूपी का परफॉर्मेंस बहुत ही ज्यादा खराब है।आप इसे कैसे देखते हैं?

देखिये नीति आयोग ने इसे नापने का जो पैरामीटर बनाया और उसकी समीक्षा वो 2017 में शुरू की। तो यूपी में उसने 2017-18 के वित्तीय वर्ष की समीक्षा कर, साल 2021-22 में रिपोर्ट साझा की। रिपोर्ट में दिखाया गया है कि यूपी 19वें स्थान पर है, लेकिन उस रिपोर्ट के 42-43 इंडिकेटर में से 34 इंडिकेटर पर हमने अच्छा प्रदर्शन किया है। तो अगली बार जब नीति आयोग का इंडेक्स आएगा तो उसमें हम और अच्छा प्रदर्शन करेंगे, ऐसा हमें उम्मीद है।

मेरा आखिरी सवाल, क्या बीजेपी इस बार यूपी में सत्ता बरकरार रख पाएगी?

बिल्कुल। 300 के पार तो इसबार भी हम जा रहे हैं। हमने राज्य में कार्य किया है, जनता सब देखती और समझती है।

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