अधूरा ज्ञान और लंबे समय तक एलोपैथी दवाओं का सेवन करना किडनी के लिए घातक हो सकता है। बीते कुछ वर्षाें में ही किडनी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोगों ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में यह संकट गंभीर हो सकता है।
शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित किडनी मंथन में राजस्थान, ओड़िशा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु सहित कई राज्यों के विशेषज्ञ चर्चा कर रहे थे। इस बीच बैंग्लोर के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रभु एस ने कहा कि आमतौर पर लोग बिना डाक्टर से पूछे कई दवाओं को लंबे समय तक खाते रहते हैं। यदि उस दवा के गुर्दे के लिए नुकसान हैं तो इससे खतरा पैदा हो सकता है।
इस बीच, नई दिल्ली के स्वामी विवेकानंद आयुर्वेदिक अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. सत्या एन ने कई दवाओं की जानकारी देते हुए कहा कि जिन दवाओं की वजह से किडनी को नुकसान हो सकता है, रोगियों को उनसे परहेज करना चाहिए। वहीं, चिकित्सकों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि वे इन्हें प्रैक्टिस से अलग रखें। आमतौर पर एक दवा के कई विकल्प मौजूद होते हैं। अगर विकल्प नहीं भी हो तो दवा की खुराक हल्की या कुछ अवधि तक के लिए रखनी चाहिए।
एमिल फार्मास्युटिकल्स के इस वर्चुअल कार्यक्रम ‘किडनी मंथन’ में डॉ. प्रभु एस. ने कई अध्ययन का जिक्र करते हुए कहा कि पैन किलर से लेकर एंटीबायोटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी कैंसर, मनोरोग तक की दवाएं किडनी को क्षति पहुंचाती हैं। ये दवाएं किडनी की कार्यप्रणाली, कोशिकाओं, फ्री रेडिकल्स की संख्या में इजाफा करके, सूजन पैदा करके किडनी को क्षति पहुंचाती हैं। एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि किडनी सुरक्षा के लिए जरूरी है कि दवाओं के सेवन में बेहद सावधानी बरती जाए। वे दवाएं न लें या कम से कम लें जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं। कार्यक्रम में ओड़िशा के डाॅ. एस. के. मिश्रा, डाॅ. सत्या एन. डोरनाला और राजस्थान के डाॅ. संजीव शर्मा ने भी अपने विचार रखे।