दुनिया का पहला मलेरिया का टीका अफ्रीकी देश मलावी में लॉन्च कर दिया गया है। दुनिया भर में हर साल 4,35,000 को मौत के मुंह में ले जाने वाली इस जानलेवा बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए पिछले 30 वर्षों से इस टीके को लाने के प्रयास चल रहे थे। यह टीका पांच महीने से दो साल तक के बच्चों के लिए विकसित किया गया है।
पांच महीने से दो साल तक के बच्चों के लिए पहल
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलावी सरकार के इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का स्वागत किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने काफी पहले अफ्रीकी महाद्वीप में दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस टीके को लाने की घोषणा की थी। डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर इसे लाया जाएगा। विश्व मलेरिया दिवस हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है।
हर मिनट में दो बच्चों की मौत होती है
इस टीके की लॉन्चिंग बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस टीके का नाम RTS,S रखा गया है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि अफ्रीकी महाद्वीप के दो देशों घाना और केन्या में इस टीके की लॉन्चिंग अगले कुछ हफ्तों में होगी। दुनिया की इस घातक बीमारी से हर मिनट में दो बच्चों की मौत हो जाती है।
अफ्रीका में इस बीमारी से हर साल 2,50,000 बच्चों की मौत
मलेरिया से अफ्रीका में बड़े पैमाने पर लोगों की मौत होती है। यहां पर हर साल 2,50,000 बच्चों की जान इस बीमारी के कारण होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया के कुल मामलों में 89 फीसद मामले अकेले भारत से दर्ज होते हैं। नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) के अनुसार साल 2016 में 1,090,724 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 331 लोगों की इस बीमारी से मौत हो गई थी।
कम उम्र वाले बच्चों में जान जाने का खतरा ज्यादा
पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में इस बीमारी से जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। दुनिया भर में हर साल मलेरिया से 4,35,000 लोगों की मौत हो जाती है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात है कि इनमें अधिकतर बच्चे होते हैं। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेडरॉस एडनॉम गेब्रेएसस ने बताया कि हमें इस बीमारी से निजात के लिए एक नए उपाय की जरूरत है। मलेरिया का टीका इससे लड़ने का एक कारगर हथियार हो सकता है।
इस टीके से मलेरिया के 10 में से चार मामलों में बचाव देखा गया
यह टीका बच्चों के प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत करेगा जिससे मलेरिया के परजीवी का उन पर घातक असर नहीं होगा। यह टीका प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ भी काम करता है। चिकित्सा विज्ञानी, प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम को दुनिया भर में सबसे घातक मलेरिया का परजीवी मानते हैं। अफ्रीका महाद्वीप पर इस परजीवी का सर्वाधिक प्रकोप है। चिकित्सकीय परीक्षणों में इस टीके से मलेरिया के 10 में से चार मामलों में बचाव देखा गया है।