उन्होंने कहा, जिस रफ्तार से चीजें बदल रही हैं, अगर मुझे लाखों लोगों तक बात पहुंचानी हो तो उसे सोशल मीडिया के जरिये मैं ही प्रसारित कर दूं। यह स्थिति आपके लिये चुनौती है। हालांकि हमने देखा कि पत्रकार साथी ट्विटर पर आ गये तो हमने भी पुलिस और अन्य विभागों को ट्विटर पर पहुंचा दिया। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के इस कार्यक्रम की सफलता की कामना की, मगर साथ ही कहा कि मीडिया कभी-कभी अपनी सीमाएं लांघ जाता है। अपने चाचा शिवपाल यादव के साथ हाल में हुई तल्खी की मीडिया रिपोर्ट की तरफ इशारा करते हुए उन्होने कहा, कई बार लोग सीमाएं लांघ जाते हैं। एक अखबार ने मुझे औरगंजेब बना दिया, हालांकि मैंने तलवार नहीं खींची।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पत्रकारों की हरसम्भव मदद की है और आगे भी करती रहेगी। प्रदेश में कई पार्टियों की सरकारें रही हैं। उनमें से एक पत्थर वाली सरकार (बसपा सरकार) थी। आप जब उससे हमारी तुलना करेंगे तो हमें लिबरल (उदार) और डेमोक्रेटिक (लोकतांत्रिक) पाएंगे। पत्रकार साथी तुलना कर सकते हैं। अखिलेश ने कहा कि पत्रकार की मृत्यु होने पर पिछली सरकारें बहुत कम धन देती थीं, लेकिन उनकी सरकार पत्रकारों के परिवार की पूरी मदद कर रही है। उनकी सरकार ने पत्रकार की मृत्यु होने पर उसके परिवार को 20-20 लाख रूपये दिये हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि कन्फेडरेशन का यह कार्यक्रम लखनऊ में हो रहा है। इससे हमारी सरकार की जानकारियां दूर-दूर से आने वाले पत्रकारों तक पहुंचेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ और उत्तर प्रदेश इधर सबसे ज्यादा खबरों में रहा है। यह अलग बात है कि समाजवादियों की वजह से रहा है। जो पत्रकार साथी बहुत दिन बाद लखनऊ आये होंगे, उन्हें एक बदलाव दिखा होगा। हमारी कोशिश है कि ना सिर्फ लखनऊ, बल्कि उत्तर प्रदेश भी बदलता हुआ दिखायी दे। उन्होने कहा कि समाजवादी सरकार एेसी सरकार है जो कोई भी बात सामने आने पर कदम उठाती है। यह सरकार एेसी है जो लोकतांत्रिक और उदार है। बात हम तक पहुंचती है तो हम कार्रवाई करते हैं। मदद के लिए हम कानून के दायरे में रहकर किसी भी सीमा तक गये।
अखिलेश ने सपा सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे, लैपटाप वितरण, समाजवादी पेंशन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब सरकार की स्मार्ट फोन देने की भी योजना है। उत्तर प्रदेश देश का एेसा पहला राज्य होगा, जो स्मार्ट फोन के जरिए जनता को सरकार से सीधे जोडे़गा। इससे पहले कन्फेडरेशन महासचिव एम एस यादव ने मजीठिया वेतन बोर्ड के गठन से लेकर इसकी सिफारिशें लागू होने तक के संघर्ष को विस्तार से बताया। साथ ही उच्चतम न्यायालय में वेतन बोर्ड को लेकर लड़ी गयी लड़ाई का उल्लेख किया। उन्होंने मुख्यमंत्री, कन्फेडरेशन में शामिल देश की शीर्ष पत्रकार एवं गैर पत्रकार यूनियनों और फेडरेशनों के शीर्ष नेताओं, देशभर से आये विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया। साथ ही अखिलेश यादव के राजनीतिक सफर और उनके नेतृत्व में 2012 में बनी सरकार की उपलब्धियांे की चर्चा की।