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अनामिका को वाणी फाउंडेशन गणमान्य पुरस्कार

वाणी की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पुरस्कार देश के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरंतर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने में गुणात्मक योगदान दिया है| इसी आधार पर अनामिका को नमिता गोखले, संस्थापक और सह-निदेशक, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल; नीता गुप्ता, निदेशक, जयपुर बुक मार्क और संदीप भुटोरिया, सांस्कृतिक आलोचक के निर्णायक मंडल ने चुना है।
अनामिका को  वाणी  फाउंडेशन गणमान्य पुरस्कार

         डॉ. अनामिका के आठ कविता संग्रह, पाँच कहानियाँ और कई आलोचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं| स्त्रीवादी विचारधारा से युक्त इनका स्वर और रचनाएँ अंग्रेज़ी और हिन्दी के नवोदित लेखकों और पीढ़ी दर पीढ़ी पाठकों को प्रेरित करती है| डॉ. अनामिका के अनुसार, प्रत्येक शब्द स्वयं में अनुवाद है| उन्होंने कई प्रसिद्ध रचनाकारों की जैसे- रबीन्द्रनाथ टैगोर, लेस मुर्रे, ओक्टावियो पाज़,  की रचनाओं के साथ ही ‘नागमंडल’ (गिरीश कर्नाड), ‘रिल्के की कविताएँ’, ‘कहती हैं औरतें’ (विश्व साहित्य की स्त्रीवादी कविताएँ) का अनुवाद किया है| करीब आधा दर्जन पुरस्कारों से सम्मनित अनामिका की द्विभाषी लेखक के रूप में 20 से अधिक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय रचनाएं प्रकाशित हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में अंग्रेज़ी की प्राध्यापिका, लेखिका की रचनाएं जेएनयू, कोची विश्वविद्यालय और मॉस्को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल की गई  हैं|

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