रिजर्व बैंक ने इस साल के लिए विकास दर के अनुमान को नहीं बदला है। इसका आकलन है कि मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 9.5 फीसदी रहेगी। खुदरा महंगाई दर के अनुमान को इसने 5.7 फीसदी से घटाकर 5.3 फीसदी कर दिया है। शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “मांग बढ़ रही है, लेकिन कमजोरी बरकरार है। उत्पादन का स्तर अब भी महामारी से पहले की तुलना में कम है। रिकवरी असमान और सरकारी नीतियों की मदद पर निर्भर है।”
समीक्षा में पहली बार सेमीकंडक्टर की कमी की बात कही गई है। इसके मुताबिक दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की कमी, कमोडिटी के ऊंचे दाम और फाइनेंशियल मार्केट में उतार-चढ़ाव विकास के लिए जोखिम हैं। दास ने कहा कि रेलवे से माल ढुलाई, बंदरगाहों पर कार्गो, सीमेंट उत्पादन, बिजली की मांग, ई-वे बिल और टोल कलेक्शन बताते हैं कि अगस्त-सितंबर में अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी है। महामारी के कारण जो लोग खरीदारी नहीं कर पाए थे, उनके अलावा त्योहारी मांग की वजह से इस साल की दूसरी छमाही में शहरों में मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
पहले अग्रिम अनुमान बताते हैं कि खरीफ फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड रहेगा। इससे ग्रामीण इलाकों में आमदनी बढ़ेगी तो वहां से भी अच्छी मांग निकलेगी। रबी फसलों का समर्थन मूल्य जल्दी घोषित होने से रबी उत्पादन भी अच्छा रहने के आसार हैं।
निर्यात मांग भी अच्छी बनी हुई है। सितंबर में लगातार सातवें महीने 30 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात हुआ। इन सब वजहों से पूरे वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 9.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में इसने विकास दर के अनुमान को 10.5 फीसदी से घटाकर 9.5 फीसदी किया था।
यह दूसरी तिमाही में 7.9 फीसदी, तीसरी में 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2022 में 6.1 फीसदी रहेगी। एनएसओ के अनुसार पहली तिमाही में विकास दर 20.1 फीसदी थी। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रिजर्व बैंक ने 17.2 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया है।