पद्म विभूषण से सम्मानित विश्व विख्यात चित्रकार सय्यद हैदर रजा दुनिया के एक मात्र ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने कविताओं की सौ पंक्तियों पर पेंटिंग बनाई थी।यह बात रज़ा की स्मृति में आयोजित 'समवाय' के उद्घटान समारोह में कही गई।इस अवसर पर प्रख्यात शास्त्रीय गायक कुमार गन्धर्व पर पीयूष दहिया द्वारा संपादित 'स्वर मुद्रा' पत्रिका के दो खंडों में विशेषांक का लोकार्पण किया गया ,जो 1200 पेज का है।
इस मौके पर कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि मंडला चित्रकार सय्यद हैदर रज़ा की बाल भूमि रही है। सात साल पहले वे यहीं सुपुर्दे खाक हुए थे।इसलिए उनकी स्मृति में इस आयोजन का विशेष महत्व है।
उन्होंने कहा कि सय्यद हैदर रजा को हिंदी उर्दू कविता में विशेष रुचि थी।वे भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के ऐसे पहले चित्रकार थे जिन्होंने कविता की पंक्तियों पर 100 से अधिक पेंटिंग बनाई थी। सय्यद हैदर रजा ने तुलसी, कबीर से लेकर आधुनिक हिंदी कवियों, उर्दू शायरों ग़ालिब, मीर और फ़ैज़ जैसे अनेक कवियों की 100 पंक्तियों पर पेंटिंग बनाई थी।
अशोक वाजपेयी ने बताया कि सय्यद हैदर रजा कविता के इतने प्रेमी थे कि मैँ जब भी पेरिस जाता था औऱ उनसे मिलता था, तब उनको हिंदी कविता की पुस्तकें भेंट करता था।एक बार भोपाल में कविता का आयोजन हुआ तो रज़ा अपनी डायरी में कविता की पंक्तियां नोट करते रहे।
समारोह में पहचान सीरीज के पंद्रह कवियों की पुस्तक के पुनर्प्रकाशन का लोकार्पण किया गया।इस सीरीज में विनोद कुमार शुक्ल, सोमदत्त कमलेश श्रीराम वर्मा, विष्णु खरे आदि की किताबें है।इसमे अंतिम कवि विष्णु नागर थे, जो उस समय 24 वर्ष के थे।समारोह में असंग घोष ने युवा कवयित्री प्रिया वर्मा के पहले संग्रह का भी विमोचन किया।यह सीरीज 1970 से 1974 के बीच छपी थी।
समारोह में उदयन वाजपेयी द्वारा संपादित ' समास 'पत्रिका के 24 वें अंक का लोकार्पण भी किया गया।समारोह में ऋतुराज,विष्णु नागर, उदय वाजपेयी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।इससे पूर्व कल रज़ा समारोह में चर्चित नर्तकी रानू चिन्द्रोल औऱ मनसा प्रधान के नेतृत्व में लड़कियों ने अपने नृत्य से लोगों का मन मोह लिया।रजा फाउंडेशन द्वारा 19 जुलाई से सय्यद हैदर रज़ा की जन्मस्थली मंडला में आयोजित 5 दिवसीय समारोह में देश के जाने माने 50 से अधिक लेखक भाग ले रहे हैं।
कल समारोह में मंडला की दो नृत्यांगनाओं ने तीन माह के कड़े प्रशिक्षण से इस कस्बे के बीसियों छोटे छोटे बच्चों को नृत्य में ऐसा पारंगत कर दिया कि जब रज़ा कला वीथिका के प्रांगण में इन लड़कियों ने कत्थक नृत्य पेश किया तो लोग दंग रह गए और तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंज गया।पद्मविभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज की शिष्या सुप्रसिद्ध नृत्यांगना मालती श्याम से प्रशिक्षित रानू चिन्द्रोल ने इन लड़कियों को तीन महीने में नृत्य की बारीकियों को इस तरह सिखाया कि दर्शकों को ऐसा लगा कि ये पेशेवर कलाकार हैं।
रज़ा समारोह में 21 गोंड कलाकारों की चित्र प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया।समारोह का मुख्य आकर्षण छाता और टी शर्ट पेंटिंग भी हैं जिसमें सैकड़ों लोग रोज भाग ले रहे हैं और वे लोगों को लुभा रहे हैं।कोई भी व्यक्ति यहां आकर छाते पर पेंटिंग कर सकता है और छाते को ले जा सकता है।