हरियाणा के जवान, किसान और धाकड़ खिलाड़ी देश की पहचान हैं। चीन के हांगझोऊ में हाल ही में सपन्न हुए एशियाई खेलों में भारत के रिकॉर्डतोड़ 107 पदकों में सबसे ज्यादा 28 पदक हरियाणा के खिलाड़ियों के हैं। देश के नाम पदक सूची में हरियाणा के खिलाड़ियों का सबसे बड़ा योगदान है। 28 पदकों में 8 स्वर्ण, 4 रजत और 16 कांस्य पदक हैं। इस तरह यहां के खिलाड़ियों ने 2014 में इंचियोन के एशियाई खेलों में 23 पदक जीतने का रिकॉर्ड तोड़ कर नया इतिहास रच दिया है। 2020 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले हरियाणा के ‘गोल्डन बॉय’ नीरज चोपड़ा ने एशियाई खेलों की भालाफेंक स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक जीत कर अपने रिकॉर्ड में इजाफा किया है। नीरज की नजर अब 2024 में पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों पर है।
आठ स्वर्ण पदक जीतने वालों में नीरज के अलावा झज्जर जिले के निमाना गांव की 17 साल की पलक गुलिया ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक देश के नाम किया। मात्र चार साल पहले निशानेबाजी की साधना शुरू करने वाली पलक ने शूटिंग को इसलिए अपनाया क्योंकि उसके स्कूल में खेलों में हिस्सा लेना अनिवार्य कर दिया गया था। झज्जर के ही मनु भाकर और फरीदाबाद की रिदम सांगवान की जोड़ी ने 25 मीटर रैपिड पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया है। निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतने वालों में अंबाला के सरबजोत सिंह और फरीदाबाद के शिव नरवाल हैं।
हिसार और सोनीपत की सविता, उदिता, निशा ने हॉकी (टीम स्पर्धा); रोहतक की शैफाली वर्मा ने क्रिकेट (टीम स्पर्धा); मुस्कान, पूजा, साक्षी, सुरजीत, सुनील ने कबड्डी में स्वर्ण पदक से हरियाणा का नाम रोशन किया। 17 खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत स्पर्धा में और 11 ने टीम प्रतियोगिता में पदक जीत कर देश के नाम पदकों की सूची में योगदान दिया। हरियाणा के खिलाड़ियों के सबसे अधिक मेडल निशानेबाजी और कुश्ती-कबड्डी में आए। एशियाई खेलों में जीत का परचम फहराने वाले हरियाणा के खिलाड़ी इस साल मध्य प्रदेश में आयोजित ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ में 128 पदक जीतकर देश में दूसरे पायदान पर रहे। अब अगली तैयारी 25 अक्टूबर से गोवा में शुरू होने वाले 37वें राष्ट्रीय खेलों के लिए है। इसमें हरियाणा के करीब 100 खिलाड़ी शामिल होंगे।
टोक्यो ओलंपिक की जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा, अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद विश्व की किसी भी बड़ी एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय एथलीट हैं। 2016 में जब भारत पीवी सिंधु और साक्षी मलिक के पदक का जश्न मना रहा था, तो एथलेक्टिस की दुनिया में नए सितारे नीरज का उदय हुआ। 2016 में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज ने गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 86.47 मीटर के जैवलिन थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता तो 2018 में एशियाई खेलों में 88.07 मीटर तक जैवलिन थ्रो के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम करके स्वर्ण पदक जीता था।
एशियाई खेलों के खिलाड़ी को हरियाणा सरकार स्वर्ण के लिए 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता को 1.5 करोड़ रुपये, कांस्य पदक विजेता को 75 लाख रुपये और शामिल होने वाले खिलाड़ियों को 7.5 लाख रुपये इनाम देगी। हरियाणा सरकार ने खिलाड़ियों को नौ साल में 335 करोड़ रुपये नकद पुरस्कार देने का दावा किया है। अभी तक का सबसे अधिक 6 करोड़ रुपये का नकद इनाम ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा को दिया गया है।
खेल को बढ़ावा देने के लिए सोनीपत के राई में राज्य के पहले खेलकूद विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। खेलों को विश्वस्तर तक ले जाने के लिए 3 राज्यस्तरीय, 21 जिलास्तरीय और 245 ग्रामीण स्टेडियम उपलब्ध कराए गए हैं। सरकार का दावा है कि खिलाडि़यों को सरकारी नौकरी के लिए 550 नए पद सृजित किए गए हैं और नौकरियों में क्लास वन तक आरक्षण का प्रावधान है। इस सरकार ने 216 खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने का दावा किया है पर खिलाडि़यों के हिमायती विपक्षी दल पदक के बदले पैसा के अलावा सरकारी नौकरियों में प्रतिष्ठित पद की मांग लगातार उठा रहे हैं।
खिलाड़ियों के लिए बनाई गई ‘पदक लाओ, पद पाओ नीति’ बंद करने का आरोप हरियाणा सरकार पर लगाते हुए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, “कांग्रेस के शासनकाल में हुड्डा सरकार ने खेल नीति के तहत 750 से ज्यादा खिलाडि़यों को हरियाणा पुलिस में डीएसपी जैसे उच्च पद दिए थे, लेकिन भाजपा-जजपा सरकार में महज इक्का-दुक्का खिलाड़ियों को ही पद मिला है। हैरानी की बात यह है कि हरियाणा सरकार अपनी अघोषित खेल नीति में देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने वाले नीरज चोपड़ा और सबसे बड़ा खेल सम्मान, राजीव गांधी खेल रत्न हासिल करने वाले पहलवान बजरंग पुनिया को सम्मानजनक सरकारी नौकरी नहीं दे सकी। बजरंग पुनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड, एशियाई खेलों, एशियन चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड समेत कई अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुके हैं, फिर भी सरकार ने अपनी अघोषित खेल नीति में उन्हें पद के लायक नहीं समझा।”
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि देश को ओलंपिक में मेडल दिलवाने वाली पहलवान साक्षी मलिक को उचित पद से वंचित रखना समझ से परे है। जब साक्षी मेडल लेकर आई थीं तो सरकार ने उनकी मां के प्रमोशन से लेकर उन्हें बड़ा पद देने के कई वादे किए थे, लेकिन सारे वादे धरे के धरे रह गए। जकार्ता एशियन गेम्स के गोल्ड मेडल विजेता मंजीत चहल जैसे उम्दा खिलाड़ी के पास भी आज नौकरी नहीं है। कॉमनवेल्थ गेम्स, वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप और एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले अर्जुन अवॉर्डी दुनिया के नंबर वन बॉक्सर अमित पंघाल को भी सरकार ने अब तक नौकरी नहीं दी। राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में मेडल विजेता विनेश फोगाट भी उचित सम्मान से वंचित हैं। इतना ही नहीं, कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन कर चुके पैरा एथलीट अमित सरोहा और एकता भ्याण की भी इस सरकार में अनदेखी हुई है। ऐसे कितने ही खिलाड़ी हैं जिन्हें अपना पद और सम्मान हासिल करने के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
दीपेंद्र के मुताबिक, खिलाड़ियों को उच्च पदों पर ही नहीं, बल्कि ग्रुप-डी की भर्तियों में भी सरकार भेदभाव कर रही है। ग्रुप-डी की भर्ती में भी नई और पुरानी ग्रेडेशन का अड़ंगा लगाकर 1,518 खिलाड़ियों की नौकरी पर तलवार लटकी है। दीपेंद्र का कहना है कि हुड्डा सरकार के दौरान हरियाणा की छवि प्रतिभाओं, खेलों और खिलाड़ियों का सम्मान करने वाले प्रदेश के तौर पर उभरी थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने उस छवि को धूमिल कर दिया है। हाल ही में दिल्ली के जंतर-मंतर पर भाजपा सांसद बृजभूषण के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले हरियाणा के खिलाड़ियों को इस बात का मलाल है कि खेल संघ सियासत से प्रभावित हैं। गौरतलब है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण पर हरियाणा की कुश्ती पहलवानों ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे और दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा भी कायम किया था लेकिन वे खुला घूम रहे हैं और अदालती सुनवाई जारी है।