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इंटरव्यू/सुखविंदर सिंह सुक्खू: “कलह भाजपा में, कांग्रेस में नहीं”

“छात्र राजनीति में एनएसयूआइ के अध्यक्ष से लेकर प्रदेश युवा कांग्रेस प्रमुख और प्रदेश कांग्रेस...
इंटरव्यू/सुखविंदर सिंह सुक्खू: “कलह भाजपा में, कांग्रेस में नहीं”

“छात्र राजनीति में एनएसयूआइ के अध्यक्ष से लेकर प्रदेश युवा कांग्रेस प्रमुख और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पदों पर रहते हुए सुक्खू का सांगठनिक तजुर्बा काफी लंबा रहा है।”

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का नया चेहरा 58 वर्षीय सुखविंदर सिंह सुक्खू एक अपेक्षाकृत युवा टीम की अगुवाई कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के पद तक उनका उभार शानदार रहा है, जो कभी डॉ. वाइएस परमार, ठाकुर राम लाल और वीरभद्र सिंह जैसे कांग्रेसी दिग्गजों से सुशोभित होता था। छात्र राजनीति में एनएसयूआइ के अध्यक्ष से लेकर प्रदेश युवा कांग्रेस प्रमुख और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पदों पर रहते हुए सुक्खू का सांगठनिक तजुर्बा काफी लंबा रहा है। राजनीति में उनकी कोई खानदानी विरासत नहीं है, लेकिन प्रौद्योगिकी, अधिरचना के क्षेत्रों और विकास पर हिमाचल प्रदेश को लेकर एक साफ नजरिया है। आउटलुक के अश्वनी शर्मा ने शिमला में सुक्खू से बातचीत की।

मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर आपको कैसा लग रहा है?

एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से निकल कर अब तक के अपने संघर्ष पर जब मैं नजर डालता हूं, तो खुद को बहुत खुशकिस्मत पाता हूं। हिमाचल प्रदेश की जनता और कांग्रेस पार्टी ने मुझे बहुत आशीर्वाद दिया है।

आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या है?

मेरी सबसे बड़ी ताकत कांग्रेस पार्टी और मेरी कड़ी मेहनत है। मेरा नेतृत्व- सोनिया गांधी, राहुल जी, प्रियंका गांधी- जिन्होंने चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार किया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मेरी ताकत हैं। मैंने संगठन में 25 साल काम किया है। नौ साल एनएसयूआइ का अध्यक्ष  रहा, 10 साल तक प्रदेश युवा कांग्रेस का अध्यक्ष रहा और छह साल तक प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष रहा। दो बार पार्षद चुना जा चुका हूं और चार बार विधायक रह चुका हूं।

मुख्यमंत्री के बतौर आपके सामने कौन सी चुनौतियां हैं?

मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री होना पार्टी चलाने से ज्यादा आसान काम है। फिलहाल तो मुझे चुनौतियां नहीं दिख रही हैं। विधानसभा में 40 विधायक वाली कांग्रेस के पास ठीकठाक बहुमत है। इनमें से ज्यादातर उच्चशिक्षित युवा नेता हैं। वे अपनी सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं।

अभी तक आप अपनी कैबिनेट नहीं बना पाए हैं। क्या दिक्कत आ रही है?

कोई दिक्कत नहीं है। कैबिनेट गठन का कुछ काम पूरा हो चुका है, मोटा खाका तैयार हे। कौन-कौन मेरी टीम में होगा, मुझे पता है।

देरी की वजह क्या पार्टी के भीतर की धड़ेबाजी है?

कोई धड़ेबाजी नहीं है। कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। मुख्यमंत्री पद के लिए संघर्ष था, लेकिन आलाकमान ने बड़ी सहजता से उसे सुलझा दिया है।

पीसीसी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने वीरभद्र सिंह की विरासत को लेकर कुछ कहा है। कहीं वह दरकिनार तो महसूस नहीं कर रही हैं?

कौन कहता है कि वे दरकिनार हैं या मेरे मुख्यमंत्री बनने से खुश नहीं हैं? वे प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और वर्तमान विधायक हैं। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह भी दूसरी बार कांग्रेस से विधायक चुने गए हैं। उन्हें सरकार में उपयुक्त जगह दी जाएगी। मेरे और प्रतिभा सिंह के बीच अच्छा तालमेल है।

क्या आपको भविष्य में राज्य में ऑपरेशन ‘लोटस’ होने का डर है?

(हंसते हुए) मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि ऐसा कर के देखे। उलटे घबराने की वजह भाजपा के पास है। भाजपा में बगावत की स्थिति है, कांग्रेस में नहीं।

कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का वादा किया था?

ओपीएस लागू होगा। हिमाचल की जनता को, खासकर कर्मचारियों को यह कांग्रेस की दी हुई 10 गारंटियों में से एक है। कैबिनेट की पहली बैठक में ओपीएस पर फैसला लिया जाएगा।

क्या इससे बजट पर ज्यादा बोझ पड़ने वाला है?

नहीं, मैं ओपीएस को वित्तीय बोझ के रूप में नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा के उपाय के तौर पर देखता हूं। राज्य के संसाधनों की सीमा के भीतर ही इसे लागू किया जाएगा।

सभी औरतों के लिए 1500 रुपये प्रतिमाह और युवाओं के लिए एक लाख नौकरियों का भी वादा था?

अगले बजट तक इंतजार करिए। सब होगा। प्रशासन में मैं पूर्ण पारदर्शिता ला दूंगा। कोई भाई-भतीजावाद, पक्षपात और दुराचरध की जगह नहीं रहेगी। सरकार पारदर्शिता कानून बनाएगी, मुख्यमंत्री सहित सारे मंत्री और विधायक इसकी जद में लाए जाएंगे।

आपने भाजपा के शासन में खोले गए 500 से ज्यादा संस्थानों को बंद कर दिया है।

भाजपा ने चुनाव से पहले 900 संस्थान, नए दफ्तर, स्वास्थ्य केंद्र, तहसीलें, उप-तहसीलें खोली थीं। इसके लिए वित्त विभाग से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी। सब कुछ मनमाने ढंग से हुआ था। इससे राज्य के ऊपर 5000 करोड़ सालाना का वित्तीय बोझ पड़ गया। कुछ संस्थाओं में तो केवल एक चपरासी है। यह भाजपा सरकार द्वारा किया गया अपराध है।

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (एचपीएसएससी) को भी बंद किया गया है, जो रोजगार देने वाली संस्था थी?

राज्य सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने पेपर लीक घोटाले में छह व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। एचपीएसएससी की गोपनीयता शाखा की एक सीनियर असिस्टेंट और उसके बेटे को ढाई-ढाई लाख रुपये में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (आइटी) का प्रश्नपत्र बेचते हुए पकड़ा गया। भाजपा के शासन के दौरान भर्तियों में गंभीर भ्रष्टाचार हो रहा था। हम लोग घोटाले का परदाफाश कर के कठोर कार्रवाई करेंगे।

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