Advertisement

साइबर अपराध: ‘इसे रोमांस फ्रॉड कहना ज्यादा सही’

“सेक्सटॉर्शन के ज्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं” साइबर या मोबाइल अपराधों में सेक्सटॉर्शन...
साइबर अपराध: ‘इसे रोमांस फ्रॉड कहना ज्यादा सही’

सेक्सटॉर्शन के ज्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं”

साइबर या मोबाइल अपराधों में सेक्सटॉर्शन हाल में सबसे ज्यादा राजस्थान में पाया गया है, लेकिन जयपुर पुलिस के साइबर क्राइम एक्सपर्ट मुकेश चौधरी के मुताबिक, ऐसे अपराधियों का केंद्र अमूमन राजस्थान, यूपी और हरियाणा बॉर्डर वाले इलाके अलवर, मेवात, भरतपुर वगैरह हैं। उनसे आउटलुक की बातचीत के संपादित अंश:

आपके हिसाब से सेक्सटॉर्शन क्या है?

सेक्सटॉर्शन का पूरा कॉन्सेप्ट जो हम समझते हैं, वह गलत है। सेक्सटॉर्शन उसी को कह सकते हैं, जिसमें दो लोगों के बीच सेक्स हुआ हो और उसको आधार बनाकर उगाही की जाए, लेकिन आजकल हम जो होते देख रहे हैं वह फ्रॉड है। अमेरिका में इसे रोमांस फ्रॉड कहा जाता है।

आपके हिसाब से सेक्सटॉर्शन की फ्रीक्वेंसी कितनी है?

यह बताना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसमें ज्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। मेरे हिसाब से 95 फीसदी मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। अंदाजन कहूं तो एक राज्य में रोजाना 100-200 लोग इसके शिकार हो जाते हैं। कोई एक दिन भर में कम से कम 50 लोगों को कॉल करता है और हजारों ऐसा कर रहे हैं।

क्या सेक्सटॉर्शन संगठित अपराध है?

अकेले इसे करना आसान नहीं हैं। शुरुआत में यह अकेले हो सकता है लेकिन अधिकतर क्रिमिनल एक गिरोह के साथ काम करते हैं। उनके पास टेस्क्सटिंग एक्सपर्ट और कॉलिंग एक्सपर्ट होते हैं। यही नहीं, वे कई ऐसे ग्रुप में जुड़े रहते हैं जहां बैंक एकाउंट, वेरिफाइड पेटीएम एकाउंट भी बिकते हैं। वे वहीं से बैंक का एकाउंट खरीदते हैं ताकि पकड़े जाने का रिस्क कम हो। कई बार अगर ऐसी साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट आती है तो हम उनके बैंक एकाउंट को फ्रीज करवा देते हैं। ऐसे में उनका काम एक एकाउंट से नहीं चलता है। उन्हें बल्क में बैंक एकाउंट चाहिए होते हैं। इसलिए यह काम चाहकर भी अकेले नहीं हो सकता है। इसमें कई लोग जुड़े होते हैं।

मैं जब इस केस के बारे में रिसर्च कर रहा था तब पता चला कि ऐसे क्राइम सबसे ज्यादा राजस्थान में होते हैं। इसमें कितनी हकीकत है?

एक तरह से आप सही कह रहे हैं, लेकिन मैं कहूंगा यह सबसे ज्यादा राजस्थान, यूपी और हरियाणा बॉर्डर वाले इलाके में होते हैं, जैसे अलवर, मेवात, भरतपुर वगैरह।

यहां ही ऐसा क्यों होता है?

ऐसा इसलिए क्योंकि आम तौर यह बहुत ही नोटोरियस बेल्ट माना जाता है। ऐसे कार्य करने के लिए आपके पास वैसा माइंडसेट भी होना चाहिए। दूसरी चीज, यह अभी तक जमानती अपराध है। क्रिमिनल को पता है कि ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता है। अगर पुलिस उसे पकड़ भी लेती है तो उसकी जमानत हो जाएगी। ताज्जुब की बात यह है कि इसके लिए वे लोग बकायदा पे-रोल पर वकील रखते हैं।

कौन होते हैं ये लोग?

ऐसे काम दो तरह के लोग करते हैं। पहला, वे जो 12 से 16 साल के बीच के हैं और उनकी इच्छा महंगी घड़ी पहनने, अच्छा कपड़ा पहनने और स्कूटर खरीदने की होती है। दूसरे ऐसे लोग हैं, जो पहले वाले लोगों को देखकर ऐसा काम शुरू कर देते हैं क्योंकि वे देखते हैं कि जिस लड़के का घर गांव में कच्चा था, उसने पक्का दोमंजिला घर बना लिया है। उसके घर में गाड़ी खड़ी है। और लोग भी वैसी लाइफस्टाइल पाने के लिए वे भी ऐसा करने लगते हैं।

कितना कमाई हो जाती होगी?

कोई सटीक अंदाजा नहीं लगा सकता है। एक बार हम सेक्सटॉर्शन सरगना को पकड़ने गए तो चौंक गए। हमें पता चला कि उसके घर में बीएमडब्लू खड़ी है जबकि वह बहुत साधारण परिवार से था। यही नहीं, उसके गांव में बीएमडब्ल्यू नहीं जा पाती थी इसलिए उसने खुद के पैसे से कुछ किलोमीटर तक सड़क भी पक्की करा ली थी।

जो शिकार हो गए हैं, उनको आप क्या कहना चाहेंगे?

अगर आप फंसे तो भूल कर भी पैसे न दें क्योंकि यह एक ट्रैप है। आप एक बार 5 हजार रुपये देंगे तो अगली बार वे 20 हजार रुपये मांगेंगे और ऐसे ही करते-करते वे लाखों की भी वसूली करने लगते हैं। तो सबसे पहला काम है कि आप उनको पैसे न दें। दूसरा, जैसे ही पता चले आप फंस चुके हैं आप उनसे संबंध हर जगह से खत्म कर लें। अगर उनसे फेसबुक पर बातचीत हुई है तो वहीं उन्हें ब्लॉक कर दें और फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल लॉक कर दें। अगर आपको ज्यादा डर है तो फेसबुक से अपना एकाउंट एक महीने के लिए डिसेबल कर सकते हैं। उनसे गाली-गलौज मत कीजिए क्योंकि ऐसा होने पर वे आपको पर्सनल ले लेंगे और हो सकता है कि वे आपको डैमेज कर दें।

अगर कोई वीडियो बन जाए तो उसके वायरल होने की संभावना कितनी होती है?

शून्य, क्योंकि मैं पिछले तीन साल से यह देख रहा हूं। जितने लोगों को मैंने देखा है उसमें किसी का वीडियो वायरल नहीं हुआ है। अक्सर अपराधी इसे यूट्यूब और सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देते हैं लेकिन ऐसे वीडियो वहां आप अपलोड नहीं कर सकते हैं। दूसरी बात, आप कोई सेलीब्रिटी नहीं हैं जो एक मिनट में वायरल हो जाएंगे।

लोग न फंसे इसके लिए आप कहेंगे?

जो सोशल मीडिया पर हैं वे फर्जी ऐप्स डाउनलोड न करें। अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट पर लॉकिंग लगा कर रखें क्योंकि आपके फोटो का मिसयूज कोई भी कर सकता है। वाट्सअप पर अपना डीपी ‘ओनली कांटेक्ट’ के प्राइवेसी पर लगाएं।

आप लोग ट्रेस कैसे करते हैं?

जिस नंबर से कॉल आया है, उसको ट्रेस करते हैं। कई बार अपराधी फॉरेन नंबर से कॉल करते हैं, तो उन मामलों में हम आइपी एड्रेस ट्रेस करते हैं।

मतलब ट्रेस करना आसान है?

टेक्निकली, अपराधियों को ट्रेस करने में कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन फील्ड में उन्हें पिनपॉइंट करना आसान नहीं है।

साइबर या मोबाइल अपराधों में सेक्सटॉर्शन हाल में सबसे ज्यादा राजस्थान में पाया गया है, लेकिन जयपुर पुलिस के साइबर क्राइम एक्सपर्ट मुकेश चौधरी के मुताबिक, ऐसे अपराधियों का केंद्र अमूमन राजस्थान, यूपी और हरियाणा बॉर्डर वाले इलाके अलवर, मेवात, भरतपुर वगैरह हैं। उनसे आउटलुक की बातचीत के संपादित अंश:

आपके हिसाब से सेक्सटॉर्शन क्या है?

सेक्सटॉर्शन का पूरा कॉन्सेप्ट जो हम समझते हैं, वह गलत है। सेक्सटॉर्शन उसी को कह सकते हैं, जिसमें दो लोगों के बीच सेक्स हुआ हो और उसको आधार बनाकर उगाही की जाए, लेकिन आजकल हम जो होते देख रहे हैं वह फ्रॉड है। अमेरिका में इसे रोमांस फ्रॉड कहा जाता है।

आपके हिसाब से सेक्सटॉर्शन की फ्रीक्वेंसी कितनी है?

यह बताना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसमें ज्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। मेरे हिसाब से 95 फीसदी मामले रिपोर्ट नहीं होते हैं। अंदाजन कहूं तो एक राज्य में रोजाना 100-200 लोग इसके शिकार हो जाते हैं। कोई एक दिन भर में कम से कम 50 लोगों को कॉल करता है और हजारों ऐसा कर रहे हैं।

क्या सेक्सटॉर्शन संगठित अपराध है?

अकेले इसे करना आसान नहीं हैं। शुरुआत में यह अकेले हो सकता है लेकिन अधिकतर क्रिमिनल एक गिरोह के साथ काम करते हैं। उनके पास टेस्क्सटिंग एक्सपर्ट और कॉलिंग एक्सपर्ट होते हैं। यही नहीं, वे कई ऐसे ग्रुप में जुड़े रहते हैं जहां बैंक एकाउंट, वेरिफाइड पेटीएम एकाउंट भी बिकते हैं। वे वहीं से बैंक का एकाउंट खरीदते हैं ताकि पकड़े जाने का रिस्क कम हो। कई बार अगर ऐसी साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट आती है तो हम उनके बैंक एकाउंट को फ्रीज करवा देते हैं। ऐसे में उनका काम एक एकाउंट से नहीं चलता है। उन्हें बल्क में बैंक एकाउंट चाहिए होते हैं। इसलिए यह काम चाहकर भी अकेले नहीं हो सकता है। इसमें कई लोग जुड़े होते हैं।

मैं जब इस केस के बारे में रिसर्च कर रहा था तब पता चला कि ऐसे क्राइम सबसे ज्यादा राजस्थान में होते हैं। इसमें कितनी हकीकत है?

एक तरह से आप सही कह रहे हैं, लेकिन मैं कहूंगा यह सबसे ज्यादा राजस्थान, यूपी और हरियाणा बॉर्डर वाले इलाके में होते हैं, जैसे अलवर, मेवात, भरतपुर वगैरह।

यहां ही ऐसा क्यों होता है?

ऐसा इसलिए क्योंकि आम तौर यह बहुत ही नोटोरियस बेल्ट माना जाता है। ऐसे कार्य करने के लिए आपके पास वैसा माइंडसेट भी होना चाहिए। दूसरी चीज, यह अभी तक जमानती अपराध है। क्रिमिनल को पता है कि ज्यादा से ज्यादा क्या हो सकता है। अगर पुलिस उसे पकड़ भी लेती है तो उसकी जमानत हो जाएगी। ताज्जुब की बात यह है कि इसके लिए वे लोग बकायदा पे-रोल पर वकील रखते हैं।

कौन होते हैं ये लोग?

ऐसे काम दो तरह के लोग करते हैं। पहला, वे जो 12 से 16 साल के बीच के हैं और उनकी इच्छा महंगी घड़ी पहनने, अच्छा कपड़ा पहनने और स्कूटर खरीदने की होती है। दूसरे ऐसे लोग हैं, जो पहले वाले लोगों को देखकर ऐसा काम शुरू कर देते हैं क्योंकि वे देखते हैं कि जिस लड़के का घर गांव में कच्चा था, उसने पक्का दोमंजिला घर बना लिया है। उसके घर में गाड़ी खड़ी है। और लोग भी वैसी लाइफस्टाइल पाने के लिए वे भी ऐसा करने लगते हैं।

कितना कमाई हो जाती होगी?

कोई सटीक अंदाजा नहीं लगा सकता है। एक बार हम सेक्सटॉर्शन सरगना को पकड़ने गए तो चौंक गए। हमें पता चला कि उसके घर में बीएमडब्लू खड़ी है जबकि वह बहुत साधारण परिवार से था। यही नहीं, उसके गांव में बीएमडब्ल्यू नहीं जा पाती थी इसलिए उसने खुद के पैसे से कुछ किलोमीटर तक सड़क भी पक्की करा ली थी।

जो शिकार हो गए हैंउनको आप क्या कहना चाहेंगे?

अगर आप फंसे तो भूल कर भी पैसे न दें क्योंकि यह एक ट्रैप है। आप एक बार 5 हजार रुपये देंगे तो अगली बार वे 20 हजार रुपये मांगेंगे और ऐसे ही करते-करते वे लाखों की भी वसूली करने लगते हैं। तो सबसे पहला काम है कि आप उनको पैसे न दें। दूसरा, जैसे ही पता चले आप फंस चुके हैं आप उनसे संबंध हर जगह से खत्म कर लें। अगर उनसे फेसबुक पर बातचीत हुई है तो वहीं उन्हें ब्लॉक कर दें और फेसबुक पर अपनी प्रोफाइल लॉक कर दें। अगर आपको ज्यादा डर है तो फेसबुक से अपना एकाउंट एक महीने के लिए डिसेबल कर सकते हैं। उनसे गाली-गलौज मत कीजिए क्योंकि ऐसा होने पर वे आपको पर्सनल ले लेंगे और हो सकता है कि वे आपको डैमेज कर दें।

अगर कोई वीडियो बन जाए तो उसके वायरल होने की संभावना कितनी होती है?

शून्य, क्योंकि मैं पिछले तीन साल से यह देख रहा हूं। जितने लोगों को मैंने देखा है उसमें किसी का वीडियो वायरल नहीं हुआ है। अक्सर अपराधी इसे यूट्यूब और सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी देते हैं लेकिन ऐसे वीडियो वहां आप अपलोड नहीं कर सकते हैं। दूसरी बात, आप कोई सेलीब्रिटी नहीं हैं जो एक मिनट में वायरल हो जाएंगे।

लोग न फंसे इसके लिए आप कहेंगे?

जो सोशल मीडिया पर हैं वे फर्जी ऐप्स डाउनलोड न करें। अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट पर लॉकिंग लगा कर रखें क्योंकि आपके फोटो का मिसयूज कोई भी कर सकता है। वाट्सअप पर अपना डीपी ‘ओनली कांटेक्ट’ के प्राइवेसी पर लगाएं।

आप लोग ट्रेस कैसे करते हैं?

जिस नंबर से कॉल आया है, उसको ट्रेस करते हैं। कई बार अपराधी फॉरेन नंबर से कॉल करते हैं, तो उन मामलों में हम आइपी एड्रेस ट्रेस करते हैं।

मतलब ट्रेस करना आसान है?

टेक्निकली, अपराधियों को ट्रेस करने में कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन फील्ड में उन्हें पिनपॉइंट करना आसान नहीं है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad