शायर जोश मलीहाबादी और मजाज़ लखनवी के रिश्ते बहुत अच्छे थे। दोनों का काफ़ी वक़्त साथ में गुज़रता। इस वक़्त में वह समय शामिल होता जब दोनों साथ बैठकर शराब पीते। जोश मलीहाबादी शराब पीने के मामले में बेहद अनुशासन पसंद थे। जबकि मजाज़ अपने मिज़ाज के अनुसार चंचल, चुलबुले और बेतरतीब।
एक रोज़ शराब पीते हुए जोश साहब ने मजाज़ से कहा " मजाज़, मैं बहुत कायदे से शराब पीता हूं, हमेशा घड़ी पास में रखता हूं, जिससे संतुलित मात्रा में ही शराब का सेवन करूं "। मैं हर पंद्रह मिनट में एक पेग बनाता हूं। तुम भी घड़ी रखकर शराब पियोगे तो बदपरहेज़ी से बच जाओगे।
इस बात को सुनकर मजाज़ लखनवी ने फ़ौरन जवाब दिया " जोश साहब, घड़ी क्या चीज़ है, मेरा बस चले तो मैं घड़ा रखकर शराब पिया करूं "। यह सुनकर जोश और मजाज़ ठहाके लगाने लगे। कुछ ऐसे थे साकी के मस्ताने।