श्रीराम सभी मानवीय मूल्यों के दिव्य मूर्त रूप हैं। उनमें करुणा, दया, विनम्रता, उदारता जैसे मूल्य हैं। वह सरल और हर तरह के दिखावे से मुक्त हैं। मेरा मानना है कि यदि कोई भी उनके द्वारा स्थापित मूल्यों और
आदर्शो को अपनाता है तो वह आध्यात्मिक यात्रा में सच्चाई और दिव्यता के निकट पहुंच जाएगा। इसलिए ही हम उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं।
मैं जयपुर के एक थियेटर ग्रुप का हिस्सा हूं। हम रामलीला का मंचन कर रहे हैं, जिसमें मैं श्री राम का किरदार निभा रहा हूं। श्री राम के किरदार को निभाने से पहले, मैंने कई महीने तक उनके बारे में अध्य्यन किया है। मैंने उनके जीवन के बारे में पढ़ा है और उनके सभी गुणों को आत्मसात करने का प्रयास किया है। मेरे लिए यह यात्रा आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करने वाली थी। मैं स्वयं में बदलाव का साक्षी रहा हूं। मैं पहले से अधिक जागरूक, शांत और दयावान हो गया हूं। मुझे ऐसा लगता है कि जो बदलाव श्री राम की कृपा से मेरे भीतर आए हैं, वह कभी मेरे शरीर को नहीं छोड़ेंगे। राम केवल मेरे देवता नहीं, जीने का एक मार्ग हैं।