आज भी क्रांति के गीत में सबसे ज्यादा गाई जाने वाली नज्म है, बोल कि लब आजाद हैं तेरे, बोल जबां अब तक तेरी है, तेरा सुतवां जिस्म है तेरा, बोल कि जां अब तक तेरी है। किसी के भी अंदर जान फूंक देने वाली यह नज्म लिखने वाले फैज अहमद फैज का आज जन्मदिन है।
सियालकोट में जन्में फैज के पिता नामी बैरिस्टर थे। उनका नाम सुल्तान मुहम्मद खान था। यह कुछ लोगों के लिए अचरज की ही बात थी कि लोगों में जोश जगाने वाली नज्में लिखने वाले फैज ने मेरे महबूब मुझसे पहली सी मुहब्बत न मांगजैसा रोमांटिक गीत भी लिखा था।
एक बार किसी ने उनसे कहा, ‘आप पर इस्लाम विरोधी होने का इल्जाम है।’ उन्होंने हंस कर कहा, ‘यह इल्जाम नहीं हकीकत है।’ पांच बहनों और चार भाइयों में फैज को सभी का खूब लाड़ मिला। यही प्यार उनके लिए आज तक कायम है। भारत विभाजन के बाद भी फैज की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। उनकी नज्मों को सरहद बांट नहीं सकी। भारत में फैज को लेकर कई कार्यक्रम होते हैं। हाल ही में फैज पर होने वाले एक कार्यक्रम में उनकी बेटी शिरकत करना चाहती थीं। लेकिन वीसा न मिलने से नहीं आ सकीं। इस खबर की खूब चर्चा हुई। फैज ने ब्रिटेन की एलिस से शादी की थी। वह ब्रिटिश सेना में कर्नल थे। फिर फौज छोड़ने के बाद वह पाकिस्तान टाइम्स और इमरोज अखबार के संपादक भी रहे।