टेलीकॉम कंपनियों के बकाये को सरकार की इक्विटी में कैसे बदला जाए, इसके लिए दूरसंचार विभाग (डॉट) दो हफ्ते में दिशानिर्देश जारी कर सकता है। यह खासकर वोडाफोन-आइडिया के लिए बड़ी राहत है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बकाया को इक्विटी में बदला गया तो यह मूलतः सरकारी कंपनी बन जाएगी। क्रेडिट सुइस ने एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि वोडाफोन-आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 70 फ़ीसदी हो सकती है।
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने भी कहा है कि वह सालाना रेवेन्यू (एजीआर) से संबंधित भुगतान में चार साल के मोरेटोरियम का इस्तेमाल करेंगे। इससे कंपनी को नेटवर्क और टेक्नोलॉजी में निवेश करने के लिए 35 से 40 हजार करोड़ रुपए मिल जाएंगे। उनका आकलन है कि ब्याज राशि को अगर सरकार की इक्विटी में बदला जाए तो 2 से 3 फ़ीसदी हिस्सेदारी ही सरकार को देनी पड़ेगी।
चार साल मोरेटोरियम का प्रावधान
कैबिनेट ने बुधवार को टेलीकॉम सेक्टर के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसमें प्रावधान है कि सरकार कंपनियों की लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज, ब्याज और पेनल्टी की बकाया रकम के बदले इक्विटी हिस्सेदारी ले सकती है। सरकार ने कंपनियों को बकाया भुगतान के लिए चार साल की राहत दी है। यानी कंपनियों को चार वर्षों तक बकाया राशि का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। हालांकि इस पर उन्हें कुछ ब्याज चुकाना पड़ेगा। चार साल के बाद सरकार के पास विकल्प होगा कि वह ब्याज की रकम या पूरे बकाए के बदले कंपनी में हिस्सेदारी ले ले।
स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज में भी कंपनियों को राहत मिलने की उम्मीद है। कैबिनेट के फैसले के अनुसार भविष्य में होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए कंपनियों को एक बार रकम चुकानी पड़ेगी। उस पर हर साल यूजर चार्ज नहीं देना पड़ेगा। अभी एजीआर के एक हिस्से के रूप में स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज देना पड़ता है। इसके कैलकुलेशन का अलग फार्मूला है, जिसके मुताबिक एयरटेल को ज्यादातर सर्किल में एजीआर का 4 से 5 फीसदी और रिलायंस जियो को 3 से 4 फीसदी यूजेज चार्ज देना पड़ता है। वोडाफोन-आइडिया के लिए ज्यादातर सर्किल में यह 5 फ़ीसदी से अधिक है।
बैंक गारंटी कम होने से कर्ज लेने में आसानी
सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए बैंक गारंटी कम करने का भी फैसला किया है। खबरों के मुताबिक अगर वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल 4 साल के मोरेटोरियम का इस्तेमाल करती है तो सरकार वोडाफोन-आइडिया को 14,000 करोड़ और एयरटेल को 8,000 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी लौटा सकती है। इससे बैंके के कंपनियों को और अधिक कर्ज देने का रास्ता साफ हो जाएगा। पुराने नियमों के मुताबिक कंपनियों को हर तरह के भुगतान बकाया भुगतान के बदले बैंक गारंटी देनी पड़ती थी। लाइसेंस फीस आदि के बदले 100 फ़ीसदी बैंक गारंटी देनी पड़ती थी, जिसे घटाकर का 20 फ़ीसदी कर दिया गया है। इससे भी कंपनियों को बैंकों से ज्यादा कर्ज लेने में सहूलियत होगी।
इस बीच रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान लगाया है कि इस वर्ष सरकार को टेलीकॉम सेक्टर से नॉन-टैक्स रेवेन्यू 28,000 करोड़ रुपए का मिलेगा। बजट में इसके लिए 54,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इसका असर राजकोषीय घाटे पर दिख सकता है। हालांकि कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते समय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि सरकार के लिए पैकेज का असर रेवेन्यू न्यूट्रल होगा, यानी न नफा न नुकसान।