अगर हम सूची का गहन विश्लेषण करें तो पाएंगे कि 2014 के सर्वे में इंदौर को 149 तथा 2016 में 25 वें स्थान पर रखा गया था वहीं वर्तमान में इंदौर को पहला स्थान मिला है। इसी तरह दूसरे नंबर पर काबिज भोपाल को 2014 में 105 तथा 2016 में 21 वां स्थान मिला था। मतलब यह कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश के ये दो शहर तीन साल में स्वच्छता पैमाने पर सबसे सटीक हो गए हैं।
सूची में पुणे को 13 वां स्थान मिला है लेकिन यह रैकिंग पुणे की आधारिक संरचना-बनावट तथा सैनिटेशन के लिहाज से कम है। जो पुणे शहर को ठीक ढंग से जानते हैं उनके लिए यह रैकिंग चकित करने वाली है। इसी तरह चंडीगढ़ को 11 वां स्थान मिला है। जबकि इस शहर को देश के सबसे बेहतर शहरों में माना जाता है।
मुंबई को 8 वां तथा दिल्ली को 7 वां स्थान मिला है जो यहां की आधारिक संरचना तथा जनसंख्या की वजह से एक हद तक सही कहा जा सकता है। गुजरात के वड़ोदरा को इस सर्वे में काफी आगे ला दिया गया है। 2014 में यह 214 तथा 2016 में यह 13 वें नंबर पर था जबकि अभी यह दसवें नंबर पर है।
सबसे गंदे शहर गोंडा को 2014 में 151 वां स्थान मिला था वहीं अभी यह सबसे नीचे 434 वें स्थान पर है। विशाखापटनम 2014 में 205 वें स्थान में था जबकि अभी यह तीसरे नंबर पर है। इसी तरह सूरत 2014 में 63 वें स्थान पर था जबकि 2016 में यह छठें स्थान पर रहा। अभी यह चौथे स्थान पर है।
शहरों को स्वच्छ मानने के लिए सरकार ने कुछ मापदंड निर्धारित किए हों जिन पर सूची के शहर सटीक बैठते हों लेकिन कुछ अन्य शहरों की रैकिंग चकित करने वाली है।
जयपुर को 215 वां तथा जोधपुर को 209 वां स्थान मिला है। जो समझ से परे है। जयपुर और जोधपुर राजस्थान के खूबसूरत और साफ-सुथरे शहरों में मशहूर हैं। इसी तरह गुरुग्राम यानी गुड़गांव को 112 वां तथा लखनऊ को 269 वां स्थान मिला है जबकि लखनऊ से ज्यादा गंदे कानपुर और बनारस को ऊंचे पायदान पर रखा गया है। कानुपर को 175 तथा बनारस को 32 वें स्थान पर रखा गया है। लुधियाना 140 वें स्थान पर है वहीं नागपुर 137 वें स्थान पर है। जबकि यह दोनों शहर लखनऊ से किसी भी तरह से साफ नहीं कहे जा सकते हैं।