रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) बताता है कि एक साल से कम उम्र के स्तनपान से वंचित शिशुओं को अच्छे स्वास्थ्य के लिए गाय का दूध दिया जाता है। लेकिन चिकित्सकों का मानना है कि छोटी उम्र में बच्चों को यदि गाय का दूध दिया जाए तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने से साथ पाचन संबंधि समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन बचाने में उस उम्र के बच्चे सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए उन्हें बार-बार दस्त होने जैसी समस्या पैदा हो सकती है।
भारत में 42 फीसदी शिशु ऐसे हैं जिन्हें किसी कारणवश मां का दूध नहीं मिल पाता है। कभी-कभी मां में लैक्टेशन की समस्या के चलते पर्याप्त दूध नहीं निकलता और शिशु को ऊपरी दूध भी देना पड़ता है। ऐसे में बच्चे का उचित पोषण बनाए रखने और पेट भरने के लिए गाय का दूध सर्वोत्तम माना जाता है। शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गाय का दूध बहुत छोटी उम्र में दिया जाए जैसे नवजात या 3 से 6 माह की अवधि तो इस उम्र में लौह तत्व की सांद्रता कम होने से बच्चों में एनीमिया का खतरा भी हो सकता है। साथ ही यह दूध बच्चों की अपरिपक्व किडनी पर भी असर डालता है।