सिकल सेल बीमारी विकारों का एक समूह है जो पूरे शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन को प्रभावित कर देता है। इस वजह से लाल रक्त कोशिकाएं हंसिया की तरह अपना आकार बदल लेती हैं जो आपस में इकट्ठी हो जाती हैं ओर रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर चिपक जाती हैं। इससे रक्त का प्रवाह अवरूद्ध होता है जिस वजह से रक्त की कमी होती है।
इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एंड इम्यूनोहेमेटोलोजी (आईएसबीटीआई) के पश्चिमी क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ. यजदी इटालिया ने बताया कि एनजीओ सेवा रूरल की मदद से आईसीएमआर के डॉक्टरों की एक टीम ने यहां के ज्यादातर आदिवासी आबादी वाले इलाकों के नवजात बच्चों के रक्त के नमूने लिए हैं। अध्ययन में शामिल करने के लिए कुल 104 रक्त के ऐसे नमूनों को इकट्ठा किया गया है।
आईएसबीटीआई पश्चिमी क्षेत्र भी इस अध्ययन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इन खून के नमूनों में कुछ मध्य प्रदेश के जगादिया के नवजात बच्चों के नमूने भी हैं ताकि उन्हें भी अध्ययन में शामिल किया जा सके।
इटालिया ने कहा के इन सभी बच्चों के खून की जन्म के समय जांच की गई थी जिनमें ये सिकल सेल बीमारी से पीड़ित पाए गए थे। इटालिया ने कहा कि खून के नमूने लेने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और क्षेत्र में सिकल सेल से पीड़ित बच्चों के परिवारों को आईसीएमआर मोबाइल फोन मुहैया करा रही है ताकि अपने मामलों की बेहतर तरीके से निगरानी की जा सके।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्यूनोमेटोलोजी के डॉक्टर भी इस अध्यन में मदद कर रहे हैं।
क्षतिग्रस्त सिकल रक्त की लाल कोशिकाएं आपस में जुड़ जाती है और रक्त वाहिकाओं की दीवारों से चिपक जाती हैं जो रक्त के प्रवाह को अवरूद्ध करता है। इस वजह से भीषण दर्द हो सकता है और मस्तिष्क, दिल, फेफड़े, गुर्दे, जिगर, हड्डियां स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।