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गणतंत्र दिवस: सीआरपीएफ की महिला मार्चिंग टुकड़ी ने कर्तव्य पथ पर 'नारी शक्ति' की भावना का किया प्रदर्शन

76वें गणतंत्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर मार्च करने वाली टुकड़ियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 148...
गणतंत्र दिवस: सीआरपीएफ की महिला मार्चिंग टुकड़ी ने कर्तव्य पथ पर 'नारी शक्ति' की भावना का किया प्रदर्शन

76वें गणतंत्र दिवस समारोह में कर्तव्य पथ पर मार्च करने वाली टुकड़ियों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 148 सदस्यीय महिला मार्चिंग टुकड़ी ने सहायक कमांडेंट ऐश्वर्या जॉय एम के नेतृत्व में 'नारी शक्ति' की भावना का प्रदर्शन किया।

सीआरपीएफ महिला दस्ता देश के विभिन्न भागों में उग्रवाद-विरोधी, नक्सल-विरोधी और कानून-व्यवस्था संबंधी कार्यों के लिए तैनात इकाइयों से ली गई महिलाओं से बना है और यह एक लघु भारत का चित्रण करता है, क्योंकि इसमें देश के सभी भागों से महिला कार्मिक शामिल हैं।

रेलवे सुरक्षा बल के 92 कर्मियों वाला मार्चिंग दस्ता मंडल सुरक्षा आयुक्त आदित्य के नेतृत्व में 'वीर सैनिक' की धुन बजाते हुए सलामी मंच की ओर बढ़ा।

गणतंत्र दिवस परेड में आरपीएफ दस्ते ने सतर्कता, शक्ति और सेवा का प्रदर्शन किया, जो भारतीय रेलवे की सुरक्षा और राष्ट्रीय प्रगति में योगदान देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

इस बल में अब तक 1087 वीर शहीद हुए हैं जिन्होंने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी है। आदर्श वाक्य - 'सेवा ही संकल्प'।

दिल्ली पुलिस की ऑल विमेन बैंड ने भी दूसरी बार गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया और इसका नेतृत्व बैंड मास्टर रुयांगुनुओ केंसे कर रहे हैं। दिल्ली पुलिस ब्रास और पाइप बैंड में चार महिला सब-इंस्पेक्टर और 64 महिला कांस्टेबल शामिल हैं।

दिल्ली पुलिस मार्चिंग टुकड़ी, जो 16 बार सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग टुकड़ी की विजेता रही है, का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ऋषि कुमार सिंह, आईपीएस ने किया।

इसके बाद सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी आई, जिसके जवान चमकीले रंगों में सजे-धजे ऊँटों पर सवार थे। बीएसएफ के ये शाही ऊँट या 'रेगिस्तान के जहाज' राजस्थान और कच्छ के रण के दुर्गम इलाकों में भरोसेमंद साथी हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इस टुकड़ी में शामिल सभी जवान छह फीट से ज़्यादा लंबे हैं और उनकी मूंछें भी एक जैसी हैं। लोग बीएसएफ के ऊंटों और सवारों को औपचारिक रूप से पहनाए जाने वाले अलग-अलग तरह के परिधान देखकर हैरान रह गए।

फिर बीएसएफ का कैमल माउंटेड बैंड आया, जो दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र बैंड है। बीएसएफ के राजस्थान फ्रंटियर द्वारा 1986-87 में स्थापित यह बैंड रेगिस्तान और मारवाड़ उत्सवों की एक स्थायी विशेषता है।

भारतीय सेना के 13 यूनिटों से आए 94 संगीतकारों के विशाल पाइप्स एवं ड्रम्स बैंड ने 'जय जन्मभूमि' की धुनों के साथ अपने समन्वित मार्च-पास्ट से दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। 

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