कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने प्रांतीय असेंबली द्वारा हाल ही में पारित जातिगत भेदभाव विरोधी विधेयक पर शनिवार को वीटो कर दिया।
न्यूसम ने अपने फैसले के समर्थन में तर्क दिया कि कैलिफोर्निया में जातिगत भेदभाव पर रोक लगाने वाले कानून पहले से मौजूद हैं।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय के एक बड़े वर्ग ने न्यूसम के कदम का स्वागत किया है। ये लोग इसी तर्क के आधार पर इस विधेयक का विरोध कर रहे थे।
न्यूसम ने एक बयान में कहा, “कैलिफोर्निया में हमारा मानना है कि हर किसी से गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी हो, कहां से भी आया हो, किसी से भी प्यार करता हो या कहीं भी रहता हो।”
उन्होंने कहा, “यही कारण है कि कैलिफोर्निया लिंग, नस्ल, रंग, धर्म, वंश, राष्ट्रीय मूल, विकलांगता, लैंगिक पहचान, यौन झुकाव और अन्य विशेषताओं के आधार पर भेदभाव को से ही प्रतिबंधित करता है। साथ ही प्रांत का कानून निर्दिष्ट करता है कि इन नागरिक अधिकारों की उदारतापूर्वक सुरक्षा की जाए। चूंकि इन मौजूदा श्रेणियों के तहत जाति के आधार पर भेदभाव पहले से ही निषिद्ध है, इसलिए यह विधेयक अनावश्यक है।”
न्यूसम ने दावा किया कि वह इसी कारण से उस विधेयक पर ‘हस्ताक्षर नहीं कर सकते’, जिसे ‘एसबी403’ के नाम से जाना जाता है और जो कैलिफोर्निया की प्रतिनिधि सभा और सीनेट में भारी मतों से पारित किया गया था।
विधेयक निष्पक्ष रोजगार और आवास अधिनियम, अनरूह अधिनियम और शिक्षा संहिता के प्रयोजनों के लिए ‘वंश’ को परिभाषित करता है, जिसमें ‘जाति’ और वंश के अन्य आयामों को शामिल किया गया है।
विधेयक के विरोधियों ने फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि गवर्नर न्यूसम के इस तरह के कदम ने प्रांत में दक्षिण एशियाई समुदाय और हिंदुओं को निशाना बनाने के कई लोगों के प्रयासों को नाकाम कर दिया है।