भारत के इस महीने के अंत तक दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत की आबादी 1.425 अरब पहुंचने की संभावना है।
संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि भारत की आबादी के 2064 के बाद स्थिर होने का अनुमान है और सदी के अंत तक यह करीब 1.5 अरब होगी।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के जनसंख्या मंडल के निदेशक जॉन विलमथ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘भारत के अप्रैल 2023 के दौरान दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ने का अनुमान है। चीन की आबादी 2022 में अपने चरम, 1.4 अरब पर पहुंच गयी थी तथा इसके बाद उसमें गिरावट आनी शुरू हुई।’’
विलमथ ने कहा कि अनुमानों से पता चलता है कि चीन की आबादी इस सदी के अंत तक एक अरब से नीचे जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके विपरीत भारत में कई दशकों तक आबादी बढ़ने की संभावना है।’’
संयुक्त राष्ट्र के सोमवार को जारी ताजा आकलन और वैश्विक आबादी के अनुमान के मुताबिक, भारत इस महीने के अंत तक चीन को दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के रूप में पीछे छोड़ देगा जब उसकी आबादी के 1.425 अरब पर पहुंचने की संभावना है।
‘पीटीआई’ के एक सवाल के जवाब में जनसंख्या मामलों की वरिष्ठ अधिकारी सारा हर्टोग ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि भारत की आबादी में 2064 के आसपास वृद्धि रुक सकती है तथा इसके बाद वह स्थिर हो सकती है। बहरहाल, उन्होंने इस अनुमान के संबंध में थोड़ी अनिश्चितता होने को लेकर आगाह किया।
विलमथ ने कहा कि भारत और चीन में जनसंख्या के रुझान में मुख्य कारक प्रजनन स्तर होता है। उन्होंने कहा, ‘‘2022 में चीन में दुनिया का सबसे कम प्रजनन स्तर था, जो एक जीवनकाल में औसतन प्रति महिला पर 1.2 जन्म था। भारत में मौजूदा प्रजनन दर प्रति महिला 2.0 जन्म है।’’ उन्होंने कहा कि 2023 और 2050 के बीच 65 साल या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या चीन में लगभग दोगुनी रहने की संभावना है और भारत में दोगुनी से ज्यादा तक बढ़ने की संभावना है।
इस बीच, अनुमान के मुताबिक चीन में आने वाले वर्षों में 25 से 64 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।