Advertisement

मोदी की ‘अजेय’ छवि को झटका, विपक्ष को मिला नया जीवनदान: विश्व मीडिया ने भारतीय चुनाव परिणामों पर क्या कहा

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘अजेय’ छवि को भारतीय मतदाताओं ने न केवल...
मोदी की ‘अजेय’ छवि को झटका, विपक्ष को मिला नया जीवनदान: विश्व मीडिया ने भारतीय चुनाव परिणामों पर क्या कहा

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘अजेय’ छवि को भारतीय मतदाताओं ने न केवल ‘‘ध्वस्त’’ कर दिया बल्कि विपक्ष को भी एक नया जीवनदान दे दिया है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भारत के आम चुनाव के परिणामों को कुछ इस तरह से परिभाषित किया है।

लोकसभा चुनाव के परिणामों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 543 सीट में से 240 सीट जीतीं और कांग्रेस ने 99 सीट पर जीत दर्ज की है। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 543-सदस्यीय लोकसभा में 272 के बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार कर लिया है। भाजपा ने हालांकि, अपना पूर्ण बहुमत खो दिया है।

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट की शुरुआत इस टिप्पणी से की, ‘‘अचानक, नरेन्द्र मोदी के इर्द-गिर्द बनी अजेय छवि खत्म हो गई है।’’ परिणामों को आश्चर्यजनक’ बताते हुए, इसने कहा कि ये ‘‘मिस्टर मोदी के कार्यकाल के एक दशक बाद एक बड़ा उलटफेर’’ है।

‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने लिखा, ‘‘मंगलवार को जब अंतिम चुनाव परिणाम आए, तो मतदाताओं ने यथास्थिति को लेकर असंतोष दिखाया और लगातार जीतने वाले इस नेता को मुश्किल स्थिति में ला दिया।’’

‘सीएनएन’ ने कहा, ‘‘इस चुनाव में मोदी ने संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में 400 सीट जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन मंगलवार को जैसे-जैसे नतीजे आने शुरू हुए, यह स्पष्ट हो गया कि सत्तारूढ़ भाजपा के पास बहुमत के लिए भी पर्याप्त संख्या नहीं होगी और उन्हें एक दशक पहले सत्ता में आने के बाद पहली बार सरकार में बने रहने के लिए गठबंधन के पुराने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा।’’

‘बीबीसी’ ने अपनी खबर में कहा कि यह जनादेश कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के लिए आश्चर्यजनक पुनरुत्थान का प्रतीक है। चुनाव परिणाम ‘एग्जिट पोल’ (चुनाव बाद सर्वेक्षण) और चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों से भी पूरी तरह अलग हैं।

इसने कहा कि चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि ‘ब्रांड मोदी’ की चमक कुछ कम हुई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मोदी भी सत्ता विरोधी लहर के प्रति संवेदनशील हैं। इसमें कहा गया है कि दूसरे शब्दों में मोदी उतने अजेय नहीं हैं जितना उनके कई समर्थक मानते हैं, इससे विपक्ष को नई उम्मीद मिलती है। बीबीसी ने कहा कि इन परिणामों से कांग्रेस नीत विपक्ष को भी एक नई ऊर्जा मिलेगीष

‘टाइम’ पत्रिका ने ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ के दक्षिण एशिया कार्यक्रम के निदेशक मिलन वैष्णव के हवाले से अपनी खबर में कहा, ‘‘यह चुनाव निस्संदेह मोदी और भाजपा के लिए एक झटका है।’’

 

इसमें कहा गया है, ‘‘सत्ता में 10 साल के बाद, यह कई मायनों में कार्यालय में उनके ट्रैक रिकॉर्ड पर एक जनमत संग्रह था और स्पष्ट रूप से कई भारतीय बेचैन और असहज महसूस कर रहे हैं।’’ इसमें कहा गया है कि मोदी को अब पिछले एक दशक की तुलना में अधिक मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा।

इसमें कहा गया है, ‘‘उनके (कार्यकारी प्रधानमंत्री मोदी) खराब प्रदर्शन के राजनीतिक परिणाम होंगे, कम से कम, भाजपा को अपने गठबंधन के सहयोगियों पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगाऑ।’’

‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने चुनाव परिणामों को मोदी के लिए एक चुनावी झटका बताया। ‘द गार्जियन’ में छपे एक लेख में कहा गया कि चुनाव परिणामों से संकेत मिलता है कि मोदी को वह भारी जीत नहीं मिली है जिसकी कई लोगों ने भविष्यवाणी की थी। ‘सीबीसी न्यूज़’ ने कहा कि चुनाव परिणामों से कांग्रेस पार्टी को एक ‘नया जीवनदान’ मिला है।

अमेरिका की मास मीडिया कंपनी ‘वॉक्स मीडिया’ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का चुनाव दर्शाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी भी एक लोकतंत्र है।

चीन के सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ ने विश्लेषकों के हवाले से अपनी खबर में कहा कि अपने तीसरे कार्यकाल में, मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपना ध्यान घरेलू मुद्दों पर केंद्रित कर सकती है, लोक कल्याण और विकास के लाभों के उचित वितरण को प्राथमिकता दे सकती है और यहां तक कि हिंदू राष्ट्रवाद पर नरम रुख अपना सकती है।

पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘‘मोदी की जीत, भले ही कमजोर हो लेकिन यह निश्चित रूप से पाकिस्तान के लिए शुभ संकेत नहीं है। मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में पिछले दो कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध बहुत खराब हो गए थे। भारत के प्रधानमंत्री ने चुनाव में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामकता बढ़ा दी थी।’’ इसमें कहा गया है कि भारत को पाकिस्तान से संपर्क साधना चाहिए और पाकिस्तान को भारत के किसी भी कदम का सकारात्मक जवाब देना चाहिए।

संपादकीय में कहा गया है कि स्वाभाविक रूप से, विश्वास बहाली में समय लगेगा, लेकिन पाकिस्तान-भारत संबंधों में सुधार के बिना दक्षिण एशिया में दीर्घकालिक शांति संभव नहीं है।

प्रमुख पाकिस्तानी अखबार ने कहा, ‘‘भारत कश्मीर के सवाल से बच नहीं सकता; दोनों पक्षों को कम से कम बातचीत शुरू करनी चाहिए। भारत की नई सरकार को पाकिस्तान के साथ नए सिरे से शुरुआत करनी चाहिए।’’

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad