पाकिस्तान के अधिकारियों ने बुधवार को पुष्टि की कि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के संबंध में अफगान तालिबान के साथ हुई वार्ता बेनतीजा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि काबुल चरमपंथियों को काबू करने की अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गया है।
चार दिवसीय वार्ता शनिवार को शुरू हुई थी जिसकी मध्यस्थता तुर्किये ने की थी। इस वार्ता के दौरान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अधिकारियों ने समस्या के हल के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास किया लेकिन उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली।
पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार ने पुष्टि की कि शांति वार्ता बेनतीजा रही। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि बातचीत में कोई व्यावहारिक समाधान नहीं मिला।
तरार ने कहा कि काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद से ही पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर अफगान तालिबान शासन के साथ बातचीत करता रहा है।
तरार ने कहा कि इस्लामाबाद ने तालिबान शासन से ‘‘ पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति दोहा समझौते में लिखित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का लगातार अनुरोध किया है।’’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘ अफगान तालिबान शासन की ओर से पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों को निरंतर समर्थन दिए जाने के कारण पाकिस्तान के सारे प्रयास निरर्थक साबित हुए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ तालिबान शासन अफगानिस्तान के लोगों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है और युद्ध अर्थव्यवस्था पर फलता-फूलता है। तालिबान शासन अफगान लोगों को एक अनावश्यक युद्ध में घसीटना चाहता है।’’
तरार ने कहा, ‘‘ पाकिस्तान ने हमेशा अफगानिस्तान के लोगों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की है, उसकी वकालत की है और इसके लिए अपार त्याग किए हैं।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान शासन के साथ अनगिनत दौर की बातचीत की लेकिन पाकिस्तान को हुए नुकसान से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘ चार वर्षों तक जान और माल की इतनी बड़ी क्षति झेलने के बाद पाकिस्तान का धैर्य जवाब दे गया है।’’
तरार ने कहा कि पाकिस्तान शांति के लिए मित्र देशों कतर और तुर्किये के अनुरोध पर दोहा में और बाद में इस्तांबुल में वार्ता में शामिल हुआ। तरार ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवादी गतिविधियों के ‘‘पर्याप्त और अकाट्य सबूत पेश किए जिन्हें अफगान तालिबान और मेज़बान देशों ने भी माना लेकिन दुर्भाग्य से अफगान पक्ष ने कोई आश्वासन नहीं दिया।’’
तरार ने कहा, ‘‘अफगान पक्ष मूल मुद्दे से भटकता रहा, उस मुख्य बिंदु से बचता रहा जिस पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई थी। कोई भी ज़िम्मेदारी स्वीकार करने के बजाय, अफगान तालिबान ने दोषारोपण किया, ध्यान भटकाया और छल-कपट का सहारा लिया।’’ उन्होंने कतर, तुर्किये और अन्य मित्र देशों का, ‘‘आतंकवाद की समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालने के उनके समर्थन और ईमानदार प्रयासों के लिए’’ आभार व्यक्त किया।
तरार ने दोहराया कि पाकिस्तान की सुरक्षा सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के लिए अपने लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है।’’
वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार रात जियो न्यूज से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान के साथ एक समझौता होने वाला था, लेकिन वार्ता के दौरान काबुल के हस्तक्षेप के कारण अफगान वार्ताकार पीछे हट गए। उन्होंने बताया कि काबुल से निर्देश मिलने के बाद तालिबान वार्ताकार ‘चार या पांच बार’ समझौते से पीछे हटे। आसिफ ने वार्ता की विफलता के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया, साथ ही कहा कि ‘‘काबुल दिल्ली के इशारे पर काम कर रहा है।’’