भारत में कोरोना वायरस के कम्युनिटी संक्रमण को रोक पाना इस समय सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि तापमान बढ़ने से कोरोना वायरस से थोड़ी राहत मिल सकती है। यह मानना है सेंटर फ़ॉर बोन मेरो ट्रांसप्लांट एन्ड सेलुलर थेरेपी के चिकित्सा प्रमुख डॉ गौरव खरया का।
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में सेवाएं दे रहे डॉ गौरव बताते हैं कि वर्तमान में हम महामारी के दूसरे चरण में हैं और इसे रोकने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं। हालांकि तीसरे चरण की चुनौती हमारे सामने है । डॉ. खरया का कहना है कि तीसरे चरण में कम्युनिटी संक्रमण को रोकना बेहद मुश्किल है।
तापमान का फायदा
डॉ. गौरव ने आगे कहा, "एक परिकल्पना और अवलोकन है कि ठंडे देशों में SARS CoV संक्रमण का अधिक खतरा है जैसे कि चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन और यूके। भारत विशेष रूप से आने वाले महीनों में और गर्म हो जाएगा। ऐसे में यह परिकल्पना है कि वायरल का संचरण कम होगा। इस प्रकार भारत को अन्य देशों से यह बढ़त दिला रहा है।"
भारत में संक्रमितों में युवाओं की संख्या इसलिए है ज्यादा...
उन्होंने बताया कि भारत में लगभग 85% जनसंख्या 60 वर्ष से कम आयु की है। यह मुख्य कारण है कि यह हमारे देश में शेष विश्व यूरोप और अमेरिका की तुलना में युवा आबादी को अधिक प्रभावित कर रहा है।
'पीपीई की न हो कमी'
कोरोना वायरस के रोगियों की चिकित्सा अथवा देखभाल में लगे नर्स और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए डॉ. गौरव कहते हैं कि फ्रंट लाइन वर्कर्स के तौर पर हम ऐसी स्थिति में नहीं उतरना चाहते हैं जहां हमें एक प्रभावित रोगी की देखभाल करने की आवश्यकता हो और हम व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण ऐसा करने में सक्षम न हों। वे आगे कहते हैं, "दुनिया भर में हमारे कई सहयोगियों को पीपीई की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और दुर्भाग्य से उनके और उनके निकट के लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहा है। संबंधित अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि सबसे खराब स्थिति की तैयारी में हम दूरदर्शिता के साथ सक्रिय रहें। जैसा कि आम कहावत है ... अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करें और सबसे बुरे के लिए तैयार रहें।"