केंद्र सरकार ने सोमवार को केरल में आई भीषण बाढ़ को गंभीर प्रकृति की आपदा घोषित की कर दिया है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि केरल में आई बाढ़ और भूस्खलन की प्रबलता को देखते हुए यह सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए गंभीर प्रकृति की एक आपदा है।
केरल में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन में करीब 350 लोगों की मौत हुई है जबकि 7. 24 लाख विस्थापित लोगों ने 5,645 राहत शिविरों में शरण ले रखी है।
इस बीच, नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केरल में स्थिति में सुधार हो रहा है और बचाव अभियान लगभग पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि अब राहत और पुनर्वास की दिशा में प्रयास तेज किए जा रहे हैं। पश्चिमी नौसैन्य कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल गिरीश लूथरा ने कहा कि जहां तक नौसेना का सवाल है तो हमने पिछले चार-पांच दिनों में खास तौर पर प्रयास तेज कर दिया था, अब हम राहत प्रदान करने और उसके बाद पुनर्वास की दिशा में कोशिश की ओर बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली से पूरे अभियान के समन्वय का अभियान चल रहा है। रक्षा आपदा प्रबंधन समूह द्वारा सुरक्षा बलों का समन्वय किया जा रहा है और राष्ट्रीय स्तर पर इसका समन्वय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समूह द्वारा किया जा रहा है।
दूसरी ओर, बाढ़ से हुई तबाही के बाद अब केरल में संक्रामक बीमारियों का संकट मंडराने लगा है। इस नए खतरे के शुरुआती संकेत भी मिलने लगे हैं। राज्य सरकार ने इस बारे में एडवाइजरी जारी कर लोगों को सावधानी बरतने को कहा है। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महामारी को रोकने के लिए 3,757 स्वास्थ्य शिविर लगाए हैं।
राज्य के स्वास्थ्य निदेशालय को आशंका है कि राज्य में पानी और हवा से होने वाली बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं। रुका पानी और मौजूदा मौसम बैक्टीरियों के तेजी से पनपने के लिए काफी अनुकूल है लेकिन इस नए खतरे से निपटना आसान नहीं होगा क्योंकि राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं चौपट हो गई हैं।
कोच्चि के पास अलुवा में चिकनपॉक्स के लक्षण सामने आने के बाद तीन लोगों को अलग शिविर में रखा गया है। केरल में मॉनसून से पहले फरवरी में भी चिकनपॉक्स के काफी मामले देखे गए थे। जीका वाइरस के कारण भी हाल में केरल में कई लोगों की मौत का दावा किया गया था। चिकनपॉक्स के अलावा अधिकारियों को डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और जानवरों के यूरिन और मल के सीधे संपर्क में आने से फैलने वाले संक्रामक रोगों के फैलने की भी आशंका है। बाढ़ से प्रभावित लोगों में डायरिया, हेपेटाइटिस, वायरल बुखार और सांस संबंधी संक्रमण फैलने का भी खतरा है। अगर इनमें से कोई भी बीमारी फैलती है तो उसे रोकना काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि दो लाख से ज्यादा परिवार इस समय राहत शिविरों में रह रहे हैं।
एेसे बरतें सावधानी
बीमारियों के फैलने खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने शिविरों से घरों को लौट रहे लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि पानी और खाने को लेकर क्या सावधानी बरतनी है। पानी गर्म न हो सके तो लोगों को क्लोरीनयुक्त पानी पीने को कहा गया है। इसके साथ ही लोगों को मरे हुए पक्षियों या जानवरों के अवशेषों को जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर दफनाने को कहा गया है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बोरवेल्स से पानी का सीधे इस्तेमाल न करें।
सीएम ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता और कूड़े-कचरे की सफाई करना एक बड़ी चुनौती साबित होने जा रही है। उन्होंने इस बारे में निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत हर एक प्रभावित वॉर्ड में अलग टीम काम करेगी जिससे सफाई की जा सके। इसके लिए वॉलिनटियर्स की मदद ली जाएगी। बाढ़ के बाद के हालातों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने एक बैठक भी की जिसमें तय किया गया कि जैसे ही पानी कम होता है, प्रशासन हर एक घर के ढांचे और इलेक्ट्रिकल सेफ्टी की जांच करेगा।
लगाए स्वास्थ्य शिविर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा कि केंद्र ने बाढ़ प्रभावित केरल में किसी तरह की महामारी को रोकने के लिए 3,757 स्वास्थ्य शिविर लगाए हैं। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि हालांकि अभी किसी भी संक्रामक बीमारी के प्रकोप की कोई सूचना नहीं है लेकिन स्वास्थ्य जानकारों की राय है कि बाढ़ का पानी घटने के साथ माहौल संक्रामक बीमारियों के अनुकूल हो जाएगा।