उत्तरी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता (एयर क्वालिटी) गिरती जा रही है। बुधवार सुबह को दूसरे दिन भी यह येलो लेवल (खराब) रिकॉर्ड की गई। प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पीएम 2.5 का स्तर 232 और पीएम 10 का स्तर 233 दर्ज हुआ है। राजधानी के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 299 (खराब स्तर) तक पहुंच गया। मंगलवार शाम को दिल्ली में यह 275, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में 300 (बहुत खराब) के स्तर पर था।
नासा ने ली थी तस्वीर
दूसरी ओर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 10 अक्टूबर को दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाए जाने की तस्वीर ली थी। इसे अधिकारियों ने साझा किया है। नासा की तस्वीरों में दिखाया गया है कि कैसे उत्तर-पश्चिमी भारत और बॉर्डर से सटे पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पराली जलाने से इलाके में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। इस पर केंद्र ने आग वाले 23 स्थानों को चिन्हित कर पंजाब सरकार से जवाब मांगा था। राज्य सरकार ने इन्हें श्मशान घाट और कचरे के ढेरों से निकलता धुआं बताया था।
एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानक
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 0-50 के बीच ‘बेहतर’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘सामान्य’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।
हर साल नवंबर में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता है
अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए डीजल जनरेटरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि जरूरी और आपात स्थिति में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। उधर, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने दावा किया है कि पड़ोसी राज्यों में हर साल नवंबर के महीने में पराली जलाई जाती है। जिसके कारण राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ जाता है।