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मुख्यधारा का मीडिया भी फैला रहा है अफवाह

सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस प्रकार अफवाहें फैलाने के लिए किया जाता है यह हम अतीत में देख चुके हैं मगर अब मुख्यधारा का मीडिया भी इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हो जाए तो लोगों को और अधिक सावधान रहने की जरूरत है।
मुख्यधारा का मीडिया भी फैला रहा है अफवाह

शनिवार को देश के सबसे बड़े मीडिया समूह की हिंदी और अंग्रेजी वेबसाइटों पर ऐसी ही एक खबर सनसनी बनाकर पेश की गई। खबर थी कि रिजर्व बैंक ने 10 रुपये के नए नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटा दी है। मगर कमाल की बात यह थी कि इस खबर के साथ 10 रुपये के जिस नोट की तस्वीर लगाई गई उसपर गवर्नर के रूप में सी रंगराजन के हस्ताक्षर थे। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि सी रंगराजन वर्ष 1995 से 1997 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे हैं। लोगों को यह भी जानना चाहिए कि 10 रुपये के नोट पर 1996 से ही महात्मा गांधी की तस्वीर छपनी शुरू हुई थी। यानी कि सी रंगराजन के हस्ताक्षर वाला यह नोट 1995 का भी हो सकता है। खास बात यह है कि इस मीडिया समूह ने खबर की शुरुआत में ही पूरी प्रामाणिकता से लिख दिया कि नोट रिजर्व बैंक ने अभी छापे हैं और गलती से महात्मा गांधी की तस्वीर हटा दी गई है। हालांकि बाद में रिजर्व बैंक के एक सूत्र के हवाले से यह लिख दिया कि यह नोट पुराना हो सकता है। यानी चित भी मेरी और पट भी मेरी की तर्ज पर अफवाह फैलाई गई।

इस खबर के बारे में जब आउटलुक ने रिजर्व बैंक के अपने सूत्रों से जानकारी हासिल की तो वह लोग भी चौंक गए। बैंक की करंसी जारी करने वाली शाखा के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि नए नोट छापे जाने से पहले उस बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाती है। वर्ष 2015 में 10 रुपये वाले नोट की एक ही सीरीज छापी गई है और वह महात्मा गांधी की तस्वीर वाली सीरीज ही है। महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने की कोई सूचना बैंक में किसी के पास नहीं है। 

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