वसीम अकरम त्यागी फेसबुक पर लिखते हैं - अजब तमाशा है जो विषय जांच का है ही नहीं, उसकी जांच दो अलग-अलग लैब ने की है। जो जांच का विषय है कि भीड़ को किसने भड़काया, किसने अधिकार दिया कि वे जाकर किसी इंसान को मार डालें, उस पर कोई जांच नहीं। सारा जोर इसी पर लगाया जा रहा है कि मांस गाय का था या बकरे का। यह मान भी लें कि मांस गाय का था तब भी क्या हत्या कर देने का अधिकार किस अदालत, किस संविधान, किस धर्म ने दिया है ?
अब्दुल कादिर खान- उधर अमेरिका यह सोचकर हैरान है कि भारत ने ऐसा फ्रिज इजाद कैसे कर लिया है कि उसमे बकरे का मीट रखो तो कुछ महीने बाद गाय के गोश्त में तब्दील हो जाता है।
राजेश त्यागी- हम घोर राजनीतिक-सांस्कृतिक ह्रास के दौर में जी रहे हैं। अखलाक की थाली में मटन था या बीफ, यह राष्ट्रीय बहस का विषय है।
सुल्तान अहमद- आखिर कार घटना के आठ महीने बाद अखलाक के फ्रिज में रखा गोश्त जो पहले जांच एजेंसी द्वारा साबित हुआ था की बीफ नहीं हैं, अब साबित हो गया है कि बीफ ही था। अखलाक की हत्या को सही ठहराने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। अब आप ही बताएं कि उत्तर प्रदेश चुनाव में लॉटरी किसकी निकलेगी?
समर अनार्य- दादरी वाला मांस था गौमांस ही- पर अख़लाक के घर से नहीं किसी कूड़ेदान से निकाला गया था- उत्तर प्रदेश पुलिस क्या खेला चल रहा है 'पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के मसीहा' टीपू भैया और हिन्दू हृदय सम्राटों के बीच?
संदीप नायक- कल फ्रीज में बीयर रखी थी दो बोतल, रात भर में Wet 69 की चार बोतल हो गई ।