संसद, मीडिया और कानून पर राष्ट्रमंडल संसदीय एसोसिएशन (सीपीए) के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सुमित्रा महाजन ने कहा, ‘मीडिया संसदीय संस्थानों और आम लोगों के बीच सेतु है तथा इससे नीति निर्माताओं को आम लोगों का मन समझाने में मदद मिलती है। इस प्रकार मीडिया की लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा, स्व नियमन मीडिया के लिए सर्वश्रेष्ठ है और यह समझना चाहिए कि अधिकारों के साथ ही जिम्मेदारी भी आती है। इसलिए इस स्वतंत्रता का उपयोग समझदारी और जिम्मेदारी से करना चाहिए।’
लोकसभा अध्यक्ष मीडिया को खुद ही अपने पर नियंत्रण रखनय़ के बारे में बता रही थीं। उन्होंने कहा, ‘हम मीडिया की आजादी की बात करते हैं तो हम न सिर्फ मीडिया की आजादी को मजबूत बनाने बल्कि उसके नियमन के बारे में सोचते हैं ताकि आजादी का उपयोग सृजनात्मक तरीके से हो सके।’
लोकसभाध्यक्ष ने कहा कि इस माध्यम से लोगों को सार्वजनिक मुद्दों, सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की जानकारी मिलती है, इसलिए मीडिया की आजादी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मीडिया को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आजादी का उपयोग समझेदारी और जिम्मेदारी से करना चाहिए तथा संबंधित जिम्मेदारियों को पूरा किया जाना चाहिए।
इस स्वनियमन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इसे कैसे हासिल किया जाए इस पर विचार होना जरूरी है। किसी थोपे गए कानून के जरिये या मीडिया द्वारा स्वैच्छिक रूप से स्वीकार किए गए दिशानिर्देशों के जरिये इस पर बात जरूर की जानी चाहिए। हमारे यहां ब्रॉडकास्ट मीडिया, प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया के लिए अलग-अलग नियमन तंत्र हैं।
इस सभी को एक दायरे में लाया जा सकता है या नहीं इस पर विचार हो। इन प्रश्नों के उत्तर खोज कर ही हम मीडिया को ताकत दे सकेंगे। मीडिया की ताकत का सही दिशा में उपयोग होगा तो यह ताकत हर व्यक्ति के काम आएगी।